अनुच्छेद 57 (Article 57 in Hindi) – पुनर्निर्वाचन के लिए पात्रता
कोई व्यक्ति, जो राष्ट्रपति के रूप में पद धारण करता है या कर चुका है, इस संविधान के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए उस पद के लिए पुनर्निर्वाचन का पात्र होगा।
व्याख्या
अनुच्छेद 57 के अनुसार: “कोई भी व्यक्ति, जो राष्ट्रपति के पद पर कार्य कर चुका है या वर्तमान में इस पद पर है, पुनः राष्ट्रपति निर्वाचित हो सकता है।” जैसे कि भारत के पहले राष्ट्रपति, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, ऐसे राष्ट्रपति हैं, जो दो बार राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित हुए।
उनका कार्यकाल:
- 1950 से 1952 (संविधान लागू होने के बाद)।
- 1952 से 1962 (दो बार के लिए निर्वाचित)।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- संविधान में किसी भी व्यक्ति के राष्ट्रपति बनने की संख्या पर कोई सीमा नहीं लगाई गई है।
- हालांकि, राष्ट्रपति के पुनः निर्वाचन के लिए, उसे संविधान द्वारा निर्धारित सभी अर्हताओं को पुनः पूरा करना आवश्यक है।
अनुच्छेद 57 का महत्व:
यह प्रावधान राष्ट्रपति पद के लिए लोकतांत्रिक अधिकार और नियमित चुनाव प्रक्रिया को बनाए रखता है। यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति का चयन संसद और राज्यों के निर्वाचित प्रतिनिधियों की इच्छानुसार हो।
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Source : – भारत का संविधान