संज्ञा (Noun) का शाब्दिक अर्थ होता है– नाम। किसी व्यक्ति, गुण, प्राणी, जाति, स्थान, वस्तु, क्रिया और भाव आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं। शब्दों का वो समूह जिन्हें हम किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, विचार, गुण या भाव को बताने के लिए इस्तेमाल करते हैं, उसे संज्ञा (Sangya) या संज्ञा शब्द (Sangya Shabd) कहते हैं। दूसरे शब्दों में, संज्ञा एक ऐसा शब्द होता है जो किसी चीज़ की पहचान कराता है।
यह भाषा का मूल तत्व है जो हमारे दैनिक जीवन में हर चीज़ को पहचानने और नाम देने के लिए आवश्यक है। संज्ञा के विभिन्न प्रकार हमें उनके प्रयोग और महत्व को समझने में मदद करते हैं, जिससे हमारी भाषा और भी समृद्ध होती है।
संज्ञा के उदाहरण (Definition of Noun)
संज्ञा के हिन्दी में प्रायः तीन प्रकार के भेद होते हैं- व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, और भाववाचक संज्ञा। जातिवाचक संज्ञा को दो भागों में विभाजित किया जाता है- द्रव्यवाचक संज्ञा और समूह वाचक संज्ञा। इस प्रकार संज्ञा के कुल पाँच भेद हो जाते हैं-
- व्यक्ति वाचक संज्ञा
- जातिवाचक संज्ञा
- समूहवाचक संज्ञा
- द्रव्यवाचक संज्ञा
- भाववाचक संज्ञा
व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun)
वह शब्द जो किसी एक व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि का बोध कराता है उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है। जैसे- राम, श्याम, टेबल, कुर्सी, कार, दिल्ली, मुंम्बई आदि।
- राम– व्यक्ति का नाम है।
- श्याम– व्यक्ति का नाम है।
- टेबल– बैठक का एक साधन है किन्तु एक नाम को सूचित कर रहा है इसलिए यह व्यक्तिवाचक है।
- कुर्सी– बैठक का एक साधन है किन्तु एक नाम को सूचित कर रहा है इसलिए यह व्यक्तिवाचक है।
- कार– यातायात का एक साधन है , किन्तु सम्पूर्ण यातायात नहीं है कार एक माध्यम है।
- दिल्ली– एक राज्य है किन्तु पूरा देश नहीं इसलिए यह व्यक्तिवाचक है।
- मुंम्बई– एक राज्य है किन्तु पूरा देश नहीं इसलिए यह व्यक्तिवाचक है।
व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण (Vyakti Vachak Sangya Ke Udaharan)
- व्यक्तियों के नाम जैसे – राम, श्याम, मोहन आदि।
- देशों के नाम जैसे – भारत, चीन, भूटान, आदि।
- महीनों के नाम (अंग्रेजी और हिंदी दोनों) जैसे – जनवरी, फरवरी, चैत्र, वैशाख आदि।
- पर्वतों के नाम जैसे – हिमालय, आल्पस, सतपुड़ा, आदि।
- महासागरों के नाम जैसे – हिन्द महासागर, काला सागर, लाल सागर, आदि।
- धार्मिक ग्रंथों के नाम जैस – रामायण, गीता, महाभारत, आदि।
- ऐतिहासिक घटनाओं के नाम जैसे – 1857 की क्रांति, जलियावाला बाग हत्याकांड, चौरी-चौरा कांड, आदि।
जातिवाचक संज्ञा (Common Noun)
जो शब्द संज्ञा किसी जाति का बोध करवाता है वह जातिवाचक संज्ञा कहलाता है। जैसे- लड़का, लड़की, नदी, पर्वत आदि।
यहाँ पर लड़का शब्द किसी एक के लिए नहीं हैं, सभी boys को लड़का ही कहा जाता है, इसलिए यह एक जातिवाचक संज्ञा शब्द है, इसी प्रकार “लड़की, नदी, पर्वत” आदि केवल एक के लिए नहीं हैं।
जातिवाचक संज्ञा के दो भेद है-
- द्रव्यवाचक संज्ञा
- समूह वाचक संज्ञा।
द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun)
जिस संज्ञा शब्दों से किसी धातु, द्रव्य, सामग्री, पदार्थ आदि का बोध हो , उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है। जैसे- गेहूं, चावल, घी, सोना, चांदी, तांबा, ऊन आदि।
द्रव्यवाचक संज्ञा के उदाहरण (Dravya Vachak Sangya Ke Udaharan)
- गेहूं– भोजन की सामाग्री है।
- चावल– भोजन की सामाग्री है।
- घी– भोजन की सामाग्री है।
- सोना– आभूषण के लिए एक द्रव्य या पदार्थ है।
- चांदी– आभूषण के लिए एक पदार्थ है।
- तांबा– एक धातु है।
- ऊन– ऊन वस्त्र बनाने की एक सामाग्री है।
समूह वाचक संज्ञा या समुच्चयवाचक संज्ञा (Collective Noun)
जिन संज्ञा शब्दों से किसी एक व्यक्ति का बोध न होकर पुरे समूह/समाज का बोध हो वह समूह वाचक/समुदायवाचक संज्ञा होता है। जैसे- सेना, पुलिस, पुस्तकालय, दल, समिति, आयोग, परिवार आदि।
समूहवाचक संज्ञा के उदाहरण (Samuh Vachak Sangya Ke Udaharan)
- सेना– सेना में कई सैनिक होते है। यहाँ समूह की बात हो रही है।
- पुलिस– पुलिस हर स्थान , राज्य , देश में होते है। उसी बड़े रूप को इंगित किया जा रहा है।
- पुस्तकालय– पुस्तकालय में अनेक पुस्तक होते है। यहाँ किसी एक पुस्तक की बात नहीं हो रही है।
- दल– अनेक व्यक्तिों से मिलकर एक दल , या समूह का निर्माण होता है।
- समिति– अनेक व्यक्तिों से मिलकर एक समिति , या समूह का निर्माण होता है।
- आयोग– आयोग का गठन किसी खास उद्देश्य के लिए किया जाता है , इसमें अनेक सदस्य होते है।
- परिवार– एक परिवार में अनेक सदस्य हो सकते है यहाँ तक की 2 -3 पीढ़ी भी।
भाववाचक संज्ञा (Absract Noun)
जिन संज्ञा शब्दों से पदार्थों की अवस्था , गुण-दोष , धर्म , दशा , आदि का बोध हो वह भाववाचक संज्ञा कहलाता है। जैसे- बुढ़ापा, मिठास, क्रोध, हर्ष, यौवन, बालपन, मोटापा आदि।
भाववाचक संज्ञा के उदाहरण (Bhav Vachak Sangya Ke Udaharan)
- बुढ़ापा– बुढ़ापा जीवन की एक अवस्था है।
- मिठास– मिठास मिठाई का गुण है।
- क्रोध– क्रोध एक भाव या दशा है।
- हर्ष– हर्ष एक भाव या दशा है।
- यौवन– यौवन स्त्री की एक दशा है।
- बालपन– बालपन बालक का गुण है अथवा एक दशा और अवस्था है।
- मोटापा– मोटापा एक अवस्था है जो मोटापे का इंगित करता है।
भाववाचक संज्ञा बनाना (Abstract Noun)
भाववाचक संज्ञा चार प्रकार से बनाई जा सकती हैं—
- जातिवाचक संज्ञा से
- सर्वनाम से
- विशेषण से
- क्रिया से
जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना
- युवा + अन = यौवन
- पुरुष + त्व = पुरुषत्व
- नारी + त्व = नारीत्व
- बालक + त्व = बालकत्व
- दास + त्व = दासत्व
- क्षत्रिय + त्व = क्षत्रित्व
- पशु + त्व = पशुत्व
- बंधू + त्व = बंधुत्व
- सती + त्व = सतीत्व
- मित्र + ता = मित्रता
- बालक + पन = बालकपन
- बच्चा + पन = बचपन
- पशु + ता = पशुता
- पंडित + त्य = पांडित्य
- दनुज + ता = दनुजता
- सेवक +अ = सेवा
- भाई + चारा = भाईचारा
सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा बनाना
- पराया + पन = परायापन
- सर्व + स्व = सर्वस्व
- निज + त्व = निजत्व
- अहं + कार = अहंकार
- अपना + त्व = अपनत्व
- निज + त्व = निजत्व
- सर्व + त्व = सर्वस्व
- स्व + त्व = स्वत्व
- मम + त्व = ममत्व
- मम + ता = ममता
विशेषण से संज्ञा बनाना
- मीठा + आस = मिठास
- मीठा + आई = मिठाई
- अच्छा + आई = अच्छाई
- चतुर + इय = चातुर्य
- सुन्दर + ता = सुंदरता
- वीर + ता = वीरता
- निर्बल + ता = निर्बलता
- मधुर + ता = मधुरता
- प्रवीण + ता = प्रवीणता
- सफल + ता = सफलता
- दुर्बल + ता = दुर्बलता
- सुन्दर + ता = सुंदरता
- छोटा + पन = छुटपन
- बड़ा + पन = बड़प्पन
क्रिया से भाववाचक संज्ञा बनाना
- उड़ना = उड़न
- लिखना = लेख
- खोदना = खुदाई
- बढ़ना=बाढ़
- कमाना = कमाई
- घेरना = घेरा
- खपना = खपत
- बचना =बचाव
- नाचना = नाच
- पड़ना = पड़ाव
- लूटना = लूट
स्वतंत्र भाववाचक संज्ञा–
जिन भाववाचक संज्ञा शब्दों में किसी भी प्रत्यय का प्रयोग नहीं होता है, उन्हें हम स्वतंत्र भाववाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – सुख, दुःख, रोग, प्रेम, प्यार, स्नेह, दुलार, संसार, भय, क्रोध आदि।
स्वतंत्र भाववाचक संज्ञा शब्दों में जब प्रत्यय जोड़ देते हैं तब यह विशेषण शब्द बन जाते हैं। जैसे:-
- सुख + ई = सुखी
- संसार + ई = संसारी
- प्रेम + ई = प्रेमी
- प्यार + आ = प्यारा
क्रियार्थक संज्ञा
जब किसी वाक्य के आरम्भ में कर्त्ता के रूप कोई क्रिया आये, तब उस क्रिया को क्रियार्थक संज्ञा कहते हैं। जैसे:-
- घूमना या टहलना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
- पढ़ना एक अच्छा काम है।
उपरोक्त वाक्यों में घूमना, टहलना, पढ़ना आदि क्रियाओं का प्रयोग क्रियार्थक संज्ञा के रूप में हुआ है।
संज्ञा के अन्य नियम
ओकारान्त और एकारांत शब्दों का प्रयोग हमेशा वहुवचन में होता है।
नियम 1. यदि कोई क्रिया वाचक शब्द वाक्य के शुरुआत में ओकारान्त बनकर आये तब यह ओकारान्त शब्द हमेशा जातिवाचक संज्ञा होता है। जैसे:-
- सोतों को मत जगाओ।
- हँसतों को मत रुलाओ।
- रोतों को हँसाओ।
नियम 2. जातिवाचक संज्ञा का कोई शब्द यदि वाक्य प्रयोग में व्यक्ति विशेष के प्रयोग को दर्शाता हो, तब वह शब्द वाक्य में व्यक्तिवाचक संज्ञा बन जाता है। जैसे:-
मूलतः जातिवाचक संज्ञा | वाक्य प्रयोग में व्यक्तिवाचक संज्ञा |
---|---|
नेताजी | नेताजी ने जय हिंद का नारा दिया। |
सरदार | सरदार को लौह पुरुष भी कहा जाता है। |
मोदी | मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं। |
गांधी या बापू | गांधी या बापू अहिंसा के पुजारी थे। |
नियम 3. व्यक्तिवाचक संज्ञा और भाववाचक संज्ञा हमेशा एकवचन होते हैं। इनको वहुवचन बनाने के लिए ओकारान्त और एकारांत का प्रयोग किया जाता है, और यह वहुवचन बनने के साथ जातिवाचक संज्ञा हो जाते हैं। जैसे:-
- विभीषण – विभीषणों
- जयचंद – जयचंदों
- प्रार्थना – प्रार्थनाएं
नियम 4. यदि कोई विशेषण शब्द आकारान्त हो तब वह ओकारान्त बनते हुए जातिवाचक संज्ञा का रूप ले लेता है। जैसे:-
- छोटा – छोटों
- बड़ा – बड़ों
नियम 5. व्यक्तिवाचक संज्ञा का यदि कोई शब्द वाक्य प्रयोग में अपने समान विशेषता को दर्शाये तब वह वाक्य में जातिवाचक संज्ञा बन जाता है। जैसे:-
- कश्मीर – प्रयागराज उत्तर प्रदेश का कश्मीर है।
- सेक्सपियर – कालिदास भारत के सेक्सपियर हैं।
- सीता और सावित्री – भारत में आज भी घर-घर में सीता और सावित्री पायी जातीं हैं।
- गंगा और लक्ष्मी – पूजा तो गंगा है और नेहा तो हमारे घर की लक्ष्मी है।