उत्तक विज्ञान का वर्गीकरण (Classification of Histology)
ऊतक के अध्ययन को ऊतक विज्ञान (Histology) के रूप में जाना जाता है। किसी जीव के शरीर में कोशिकाओं के समूह को ऊतक कहते हैं जिनकी उत्पत्ति एक समान हो। पौधे और जन्तु कोशिका का आकार एवं आकृति एक समान होती है। परन्तु पौधे और जन्तु उत्तक अलग-अलग होते हैं। किन्तु उनकी उत्पत्ति एवं कार्य समान ही होते हैं।
पादप उत्तक (Plant Tissue)
पादप ऊतकों (Plant Tissue) को दो वर्गों में बाँटा गया है-
- विभाज्योतकी ऊतक (Meristematic tissue)
- स्थायी ऊतक ( Permanent tissue )
विभाज्योतकी ऊतक
यह उत्तक की संरचना ऐसी कोशिका से हुई है, जिनमें विभाजन की क्षमता होती है। इसकी कोशिका गोल, अंडाकार या बहुभुजी होती है। इस उत्तक के कोशिका के बीच खाली जगह (Intercellular Space) नहीं होता है। कोशिका में कोशिका द्रव्य प्रचुर मात्रा में भरी रहती है परन्तु इन कोशिका में रिक्तिता (Vacuoles) छोटी होती है अथवा नहीं होती है।
स्थिति के आधार पर विभाज्योतिकी उत्तक को तीन भागों में बाँटा गया है।
- शीर्षस्थ विभाज्योतक (Apical meristem)- यह उत्तक तने के अग्र भाग में रहते हैं। इसके विभाजन के फलस्वरूप ही पौधा की लंबाई बढ़ते हैं। यह प्राथमिक वृद्धि (Primary growth) कहलाता है।
- पार्श्व विभाज्योतक (Lateral meristem)- ये उत्तक तने और जड़ों के किनारे मे होते हैं। इसके विभाजन के फलस्वरूप ही पौधा की मोटाई बढ़ते हैं। यह द्वितीयक वृद्धि (Secondary growth) कहलाता है।
- अंतर्वेशी विभाज्योतक (Intercalary meristem)- ये शीर्षस्थ विभाज्योतिकी उत्तक के ही भाग है जो वृद्धि होने के कारण अग्रभाग से हट जाता है। यह उत्तक प्रायः पतियों के आधार पर तनों के पर्व (Inter Node) तथा पर्वसंधि (Node) के पास पाए जाते हैं। यह उत्तक शीघ्र ही स्थायी उत्तक में बदल जाते हैं।
स्थाई ऊतक (Parmanent Tissue)
विभाज्योतकी उत्तक की कोशिकाएँ लगातार विभाजित होकर स्थायी उत्तक बनाता है। स्थायी उत्तक दो प्रकार के है-
- साधारण स्थायी उत्तक
- जटिल स्थायी उत्तक
A. सरल ऊतक (Simple Tissue)- इस उत्तक में समान आकार के कोशिका पाए जाते हैं तथा सभी कोशिका मिलकर सामान कार्य करती है। यह उत्तक तीन प्रकार के हैं-
- मृदुतक ऊतक (Parenchyma)- यह उत्तक के कोशिका के बीच खाली स्थान पाए जाते हैं। यह उत्तक जीवित कोशिका से बना होता है। यह उत्तक की कोशिका गोलाकार, अंडाकार, या बहुभुजी होता है। इस उत्तक में क्लोरोप्लास्ट पाए जाते हैं जिसके कारण यह प्रकाश संश्लेषण भी करते हैं इसलिए इसे हरित उत्तक कहते हैं।
- स्थूल कोण ऊतक (Collenchyma)- इस उत्तक में कोशिका के बीच खाली स्थान बहुत कम होते हैं यह भी जीवित कोशिका से बना है। यह उत्तक की कोशिका लम्बी, गोल अनियमित ढंग से कोणों पर मोटी होती है सेलुलोज की अधिकता के कारण इस कोशिका की कोशिका भित्ति मोटी होती है। इस उत्तक में हरित लवक पाए हैं जिससे भोजन तैयार करते हैं।
- दृढ़ ऊतक (Sclerenchyama)- इस उत्तक में कोई खाली जगह नहीं होता है यह मृत कोशिका के बने होते हैं। यह उत्तक की कोशिका लम्बी, सँकरी, तथा मोटी कोशिका भित्ति वाले होते हैं। यह उत्तक बीज तथा फलों के ऊपर मजबूत आवरण बनाते हैं। पौधे से प्राप्त- जूट, सनई, पटवा दृढऊतक है। यह रसायन कोशिका को मजबूत बना देता है।
B. जटिल ऊतक (Complex Tissue)- जटिल उत्तक विभिन्न आकार की कोशिका के बने होते हैं परन्तु सभी कोशिका एक इकाई के रूप में कार्य करते हैं। जटिल उत्तक दो प्रकार के होते हैं-
- जायलम (दारु)(Xylem)- जाइलम पुरे पौधे में पाए जाते हैं इसका कार्य जल का संवहन करना है। यह पौधे को यांत्रिक सहायता और भोजन संग्रह करता है। यह चार प्रकार के कोशिका से बना होता हैं- वाहिनियों (Tracheids), वाहिकाएँ (Vessels), जाइलम तंतु (Xylem Fibres), जाइलम मृदुतक (Xylem Parcnchyma). वाहिनियों का मुख्य कार्य जल तथा घुलित खनिज पदार्थों को जड़ से पत्ती तक पहुँचाना। वाहिकाएँ और जाइलम तंतु पौधों का यांत्रिकी सहायता देता है तथा जाइलम मृदुतक भोजन संग्रह करता है। जाइलम मृदुतक जीवित कोशिका है बाकि मृत कोशिका है।
- फ्लोएम (पोषवाह)(Phloem)- फ्लोएम भी पुरे पौधे में पाए जाते हैं इसका कार्य पतियों द्वारा तैयार भोजन को पौधे के सभी भाग में पहुँचना है। यह भी चार प्रकार की कोशिका से बना होता है- चालनी नालिका (Sieve Tubes), सहकोशिका (Campanion Cells), फ्लोएम तंतु (Phloem Fibres), फ्लोएम मृदुतक (Phloem Parchchyma) इसमें केवल फ्लोएम तंतु ही मृत कोशिका है बाकि सभी जीवित कोशिका हैं।
जन्तु ऊतक (Animal Tissue)
जन्तु ऊतक मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं-
- उपकला ऊतक (Epithelium tissue)
- संयोजी ऊतक (connective tissues)
- पेशी ऊतक (muscular tissues)
- तंत्रिका ऊतक (nervous tissues)
उपकला ऊतक (Epithelium tissue)
इस उत्तक के बीच कोई रिक्त स्थान नहीं होता है। यह ऊतक अंगों के बाहरी और भीतरी भाग का निर्माण करती है। इसका मुख्य कार्य सुरक्षा प्रदान करना है। यह अंगों में पदार्थ के विसरण, स्रवण तथा अवशोषण में सहायता करता है। एपिथीलियम उत्तक के चार प्रकार है-
- शल्की एपिथीलियम (Squamous Epithelium)- इसकी आकृति फर्श या दिवार पर लगी चपटी ईट की तरह होती है। त्वचा के बाहरी परत का निर्माण इसी उत्तक से होता है। इसके अलावा यह रक्तवाहिनियों तथा अंगों के भीतरी स्तर का निर्माण करते हैं।
- स्तंभाकार एपिथीलियम (Columnar Epithelium)- इस उत्तक की कोशिका लम्बे होते है तथा कोशिका के मुक्त सिरे पर माइक्रो विलाई होते हैं। यह अंगों के आतंरिक भाग का निर्माण करते हैं जहाँ अवशोषण तथा स्रवण होता है जैसे- आंत, अमाशय, पित्ताशय।
- घनाकार एपिथीलियम (Cuboidal Epithelium)- इस उत्तक के कोशिका का आकार घन के समान है। यह शरीर में ग्रंथि का निर्माण करते हैं। इसमें प्रमुख ग्रंथि-
- स्वेद ग्रंथि- यह स्तनधारी त्वचा ऊपरी सतह में पाए जाते हैं जिससे पसीने का स्राव होता है।
- लैक्राइमल ग्रंथि- यह ग्रंथि आँख में पाई जाती है, जिससे आसूं का स्राव होता है। इसमें लाइसोजाम नामक इंजाइम पाए जाते हैं।
- सिरुमिनस ग्रंथि- यह ग्रंथि कान में पाया जाता है। यह मोम के समान होता है।
- सीबम ग्रंथि- यह ग्रंथि त्वचा के डर्मिस (भतरी परत) में पाई जाती है यह तैलीय पदार्थ स्रावित करती है जिसे सीबम कहते हैं।
- पक्ष्माभी उपकला (Ciliated Epithelium)- इस उत्तक की कोशिका लम्बी होती है तथा इसमें सिलिया पाए जाते हैं। यह अंडवाहिनी गर्भाशय में पाए जाते हैं।
संयोजी ऊतक (Connective Tissue)
यह ऊतक एक अंग को दूसरे अंग से जोड़ने का काम करता है। इसमें कोशिकाओं की संख्या कम होती है तथा कोशिकाओं के बीच खाली स्थान ज्यादा होती है जिसमे एक प्रकार के पदार्थ भरे रहते हैं जिसे मैट्रिक्स कहते हैं। मैट्रिक्स ठोस, जेली के समान, सघन, कठोर या तरल होते हैं। संयोजी उत्तक के प्रकार-
- अवकाशी उत्तक (Areolar Tissue)- यह ऊतक रक्तवाहिनियों तथा तंत्रिकाओं के चारों तरफ घेरा बनाता है। यह त्वचा और मांसपेशी को आपस में जोड़ता है। इसमें मास्ट कोशिका पाया जाता है इस कोशिका में हिस्टामिन (प्रोटीन), हिपैटीन (कार्बोहाइड्रेट) तथा सिरोटोनिन (प्रोटीन) स्रावित होता है। हिस्टामिन रुधिर वाहिनी को फैलता है हिपैरिन शरीर में रक्त को जमने नहीं देता है सिरोटोनिन रुधिर वाहिनी में सिकुड़न लता है।
- वसा संयोजी उत्तक (Adipose Connective Tissue)
- कंडरा (Tendon)
- स्नायु (Ligament)
- उपास्थि उत्तक (Cartilage)
- अस्थि (Bone)
- रक्त (Blood)
- लसिका (Lymph)
पेशी ऊतक (Muscular Tissue)
इस उत्तक की कोशिका लम्बी-लम्बी होती है तथा इन कोशिका में एक प्रकार के पदार्थ तरल पदार्थ भरे होते हैं जिसे सार्कोप्लाज्म कहते हैं। इसका मुख्य कार्य जीवों का प्रचलन में मदद करना है। यह तीन प्रकार के होते हैं-
- आरेखित या अनैच्छिक पेशी (Unstriped Muscles)
- रेखित पेशी या ऐच्छिक पेशी (Striped Muscles)
- ह्रदय पेशी (Cardiac Muscles)
तंत्रिका ऊतक (Narvous Tissue)
जीवों का मस्तिष्क, मेरुरज्जु () तथा सभी तंत्रिकाएँ इसी उत्तक के बने होते हैं। तंत्रिका उत्तक की कोशिका को न्यूरॉन कहते हैं। न्यूरॉन कोशिका को तंत्रिका तंत्र की इकाई कहते हैं। यह शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में भेजने का कार्य करती है। इसमें कोशिका में विभाजन की क्षमता नहीं होती है।