अनुच्छेद 9 (Article-9 in Hindi) – विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित करने वाले व्यक्तियों का नागरिक न होना
यदि किसी व्यक्ति ने किसी विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित कर ली है तो वह अनुच्छेद 5 के आधार पर भारत का नागरिक नहीं होगा अथवा अनुच्छेद 6 या अनुच्छेद 8 के आधार पर भारत का नागरिक नहीं समझा जाएगा।
व्याख्या
अनुच्छेद 9 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति विदेशी नागरिकता लेता है, तो उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जाएगी। यह प्रावधान भारतीय नागरिकता को एकल नागरिकता की नीति के तहत संरक्षित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय नागरिकता को विदेशी नागरिकता के साथ मिश्रित नहीं किया जा सकता।
अनुच्छेद 9 की मुख्य बातें:
- विदेशी नागरिकता प्राप्त करने पर निष्क्रियता:
- यदि कोई व्यक्ति, जो भारतीय नागरिक है, स्वेच्छा से किसी विदेशी देश की नागरिकता ग्रहण करता है, तो वह भारत का नागरिक नहीं रह सकता।
- यह स्वाभाविक रूप से दोहरी नागरिकता (dual citizenship) की अनुमति न देने के भारतीय कानून के सिद्धांत को बनाए रखता है।
- भारत की नागरिकता समाप्ति का आधार:
- नागरिकता का स्वैच्छिक त्याग: यदि कोई व्यक्ति विदेशी नागरिकता स्वीकार करता है, तो यह माना जाएगा कि उसने स्वेच्छा से अपनी भारतीय नागरिकता त्याग दी है।
- विदेशी पासपोर्ट का उपयोग: विदेशी नागरिकता लेने के बाद विदेशी पासपोर्ट का उपयोग भी भारत की नागरिकता को समाप्त कर सकता है।
- संविधान का परिपालन:
- भारतीय संविधान और नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार, कोई भी भारतीय नागरिक विदेश में स्वैच्छिक नागरिकता स्वीकार करने के बाद, भारतीय नागरिकता से वंचित हो जाएगा।
इस प्रावधान का उद्देश्य:
- राष्ट्रीयता और वफादारी सुनिश्चित करना: यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय नागरिकता केवल उन व्यक्तियों को प्राप्त हो, जो भारत के प्रति अपनी वफादारी बनाए रखें।
- दोहरी नागरिकता की रोकथाम: भारत में दोहरी नागरिकता का प्रावधान नहीं है। इसलिए यह अनुच्छेद विदेशी नागरिकता लेने के बाद भारत की नागरिकता स्वतः समाप्त कर देता है।
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Source : – भारत का संविधान