अनुच्छेद 89 (Article 89 in Hindi) – राज्य सभा का सभापति और उपसभापति
(1) भारत का उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होगा।
(2) राज्य सभा, यथाशक्य शीघ्र, अपने किसी सदस्य को अपना उपसभापति चुनेगी और जब-जब उपसभापति का पद रिक्त होता है तब-तब राज्य सभा किसी अन्य सदस्य को अपना उपसभापति चुनेगी।
व्याख्या
अनुच्छेद 89 भारतीय संविधान के अंतर्गत राज्य सभा (राज्यों की परिषद) के सभापति और उपसभापति से संबंधित प्रावधान करता है।
अनुच्छेद 89 का मुख्य प्रावधान
राज्य सभा का सभापति
भारत के उपराष्ट्रपति को राज्य सभा का पदेन (ex-officio) सभापति नियुक्त किया गया है। उपराष्ट्रपति का यह कर्तव्य है कि वह राज्य सभा की कार्यवाहियों की अध्यक्षता करें।
सभापति राज्य सभा के प्रमुख अधिकारी होते हैं और सदन की कार्यवाही को संचालित करते हैं। उनका कार्य सदन की मर्यादा बनाए रखना और कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाना है।
राज्य सभा का उपसभापति:
राज्य सभा अपने सदस्यों में से एक सदस्य को उपसभापति के रूप में निर्वाचित करती है। उपसभापति सभापति की अनुपस्थिति में राज्य सभा की कार्यवाहियों की अध्यक्षता करता है।
उपसभापति का चुनाव राज्य सभा के सदस्यों के बहुमत द्वारा किया जाता है। उपसभापति का कार्यकाल उनकी राज्य सभा सदस्यता के कार्यकाल के बराबर होता है। जब उपराष्ट्रपति (सभापति) अनुपस्थित होते हैं या उनका पद रिक्त होता है, तो उपसभापति सदन की अध्यक्षता करते हैं।
सभापति और उपसभापति को सदन की कार्यवाहियों के दौरान तटस्थ रहना आवश्यक है।
निष्कर्ष
अनुच्छेद 89 राज्य सभा के सभापति और उपसभापति से संबंधित स्पष्ट प्रावधान प्रदान करता है। यह राज्य सभा की कार्यवाही को व्यवस्थित और निष्पक्ष तरीके से चलाने के लिए एक सशक्त तंत्र स्थापित करता है। सभापति और उपसभापति की भूमिकाएँ राज्य सभा की कार्यक्षमता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण हैं।
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Source : – भारत का संविधान