अनुच्छेद 87 (Article 87 in Hindi) – राष्ट्रपति का विशेष अभिभाषण
(1) राष्ट्रपति, लोकसभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात् प्रथम सत्र के आरंभ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरंभ में एक साथ समवेत संसद के दोनों सदनों में अभिभाषण करेगा और संसद को उसके आह्वान के कारण बताएगा।
(2) प्रत्येक सदन की प्रक्रिया का विनियमन करने वाले नियमों द्वारा ऐसे अभिभाषण में निर्दिष्ट विषयों की चर्चा के लिए समय नियत करने के लिए उपबंध किया जाएगा।
व्याख्या
अनुच्छेद 87 के अनुसार, राष्ट्रपति, लोकसभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात् प्रथम सत्र के आरंभ में संसद के दोनों सदनों में अभिभाषण करेगा । यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो राष्ट्रपति की भूमिका और सरकार की योजनाओं और प्राथमिकताओं को प्रस्तुत करता है।
अनुच्छेद 87 का मुख्य प्रावधान:
- पहला अवसर: राष्ट्रपति लोकसभा के प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात् संसद के पहले सत्र के आरंभ में दोनों सदनों को संबोधित करता है। इसका उद्देश्य नई सरकार की प्राथमिकताएँ और नीतियाँ स्पष्ट करना है।
- दूसरा अवसर: प्रत्येक वर्ष के पहले सत्र (बजट सत्र) के आरंभ में भी राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को संबोधित करता है।
- अभिभाषण का उद्देश्य: राष्ट्रपति के अभिभाषण में सरकार की योजनाएँ, कार्यक्रम और नीतियाँ शामिल होती हैं। यह अभिभाषण वर्तमान सरकार की नीति-निर्देशों का औपचारिक परिचय होता है।
अनुच्छेद 87 संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण को अनिवार्य बनाकर लोकतांत्रिक प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देता है। यह सरकार की प्राथमिकताओं और योजनाओं को प्रस्तुत करने का एक औपचारिक मंच है, जो संसद के कामकाज को दिशा प्रदान करता है।
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Source : – भारत का संविधान