अनुच्छेद 75 (Article 75 in Hindi) – मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध
(1) प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर करेगा।
- (1क) मंत्रि-परिषद में प्रधानमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या लोकसभा के सदस्यों की कुल संख्या के पन्द्रह प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।
- 1ख) किसी राजनीतिक दल का संसद के किसी सदन का कोई सदस्य, जो दसवीं अनुसूची के पैरा 2 के अधीन उस सदन का सदस्य होने के लिए निरर्हित है, अपनी निरर्हता की तारीख से प्रारंभ होने वाली और उस तारीख तक जिसको ऐसे सदस्य के रूप में उसकी पदावधि समाप्त होगी या जहाँ वह ऐसी अवधि की समाप्ति के पूर्व ससंद के किसी सदन के लिए निर्वाचन लड़ता है, उस तारीख तक जिसको वह निर्वाचित घोषित किया जाता है, इनमें से जो भी पूर्वतर हो, की अवधि के दौरान, खंड (1) के अधीन मंत्री के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए भी निरर्हित होगा।
(2) मंत्री, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपने पद धारण करेंगे।
(3) मंत्रि-परिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी।
(4) किसी मंत्री द्वारा अपना पद ग्रहण करने से पहले, राष्ट्रपति तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिए गए प्रारूपों के अनुसार उसको पद की और गोपनीयता की शपथ दिलाएगा।
(5) कोई मंत्री, जो निरंतर छह मास की किसी अवधि तक संसद के किसी सदन का सदस्य नहीं है; उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री नहीं रहेगा।
(6) मंत्रियों के वेतन और भत्ते ऐसे होंगे जो संसद, विधि द्वारा, समय-समय पर अवधारित करे और जब तक संसद इस प्रकार अवधारित नहीं करती है तब तक ऐसे होंगे जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं।
व्याख्या
अनुच्छेद 75 भारत के मंत्रिपरिषद से संबंधित प्रावधान करता है, जिसमें मंत्रियों की नियुक्ति, कार्यकाल, जिम्मेदारी, शपथ, योग्यता, और वेतन-भत्ते शामिल हैं।
अनुच्छेद 75 के तहत प्रावधान
1. मंत्रियों की नियुक्ति और संरचना:
- प्रधानमंत्री की नियुक्ति: प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- अन्य मंत्रियों की नियुक्ति: अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर की जाती है।
- मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की तीन श्रेणियां होती हैं:
- कैबिनेट मंत्री: महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों (जैसे गृह, वित्त, रक्षा, विदेश मामले) के प्रमुख।
- राज्य मंत्री: स्वतंत्र प्रभार के साथ या कैबिनेट मंत्रियों से संबद्ध।
- उप मंत्री: कैबिनेट या राज्य मंत्रियों की सहायता करते हैं।
2. मंत्रिपरिषद का कार्यकाल और संख्या:
- मंत्रियों का कार्यकाल राष्ट्रपति की इच्छा पर निर्भर करता है।
- मंत्रिपरिषद में प्रधानमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या लोकसभा के सदस्यों की संख्या के 15% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- यह प्रावधान 91वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 के तहत जोड़ा गया।
3. मंत्रियों की योग्यता और शपथ:
- मंत्री बनने के लिए संसद का सदस्य होना अनिवार्य है।
- यदि कोई मंत्री संसद सदस्य नहीं है, तो उसे छह महीने के भीतर संसद का सदस्य बनना होगा।
- मंत्री को शपथ राष्ट्रपति द्वारा दिलाई जाती है।
4. जिम्मेदारी और जवाबदेही:
- मंत्री सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
- संसद के किसी भी सदन में अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर पूरा मंत्रिपरिषद त्यागपत्र देने के लिए बाध्य होता है।
5. वेतन और भत्ते:
- मंत्रियों का वेतन और भत्ते संसद द्वारा निर्धारित किए जाते हैं और इन्हें भारत की संचित निधि से भुगतान किया जाता है।
कभी-कभी मंत्रिपरिषद में उप प्रधानमंत्री को भी शामिल किया जाता है। यह पद औपचारिक नहीं है और आमतौर पर राजनीतिक कारणों से बनाया जाता है।
अनुच्छेद 75 का महत्व
- अनुच्छेद 75 भारतीय लोकतंत्र में मंत्रिपरिषद की संरचना और कार्यप्रणाली को परिभाषित करता है।
- यह प्रावधान कार्यपालिका की जवाबदेही और संविधान की भावना को मजबूत करता है।
- मंत्रियों की संख्या सीमित करके यह प्रशासनिक दक्षता और अनुशासन सुनिश्चित करता है।
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Source : – भारत का संविधान