अनुच्छेद 72 (Article 72 in Hindi) – क्षमा आदि की और कुछ मामलों में दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की राष्ट्रपति की शक्ति
[1] राष्ट्रपति को, किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा, उसका प्रविलंबन, विराम या परिहार करने की अथवा दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की–
- (क) उन सभी मामलों में, जिनमें दंड या दंडादेश सेना न्यायालय ने दिया है,
- (ख) उन सभी मामलों में, जिनमें दंड या दंडादेश ऐसे विषय संबंधी किसी विधि के विरुद्ध अपराध के लिए दिया गया है जिस विषय तक संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है,
- (ग) उन सभी मामलों में, जिनमें दंडादेश, मृत्यु दंडादेश है, शक्ति होगी।
[2] खंड (1) के उपखंड (क) की कोई बात संघ के सशस्त्र बलों के किसी आफिसर की सेना न्यायालय द्वारा पारित दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की विधि द्वारा प्रदत्त शक्ति पर प्रभाव नहीं डालेगी।
[3] खंड (1) के उपखंड (ग) की कोई बात तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन किसी राज्य के राज्यपाल* द्वारा प्रयोक्तव्य मृत्यु दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की शक्ति पर प्रभाव नहीं डालेगी।
व्याख्या
अनुच्छेद 72 के तहत, राष्ट्रपति को क्षमादान और दंडादेश में छूट, निलंबन, परिहार या लघुकरण की शक्ति प्रदान की गई है। यह शक्ति विशेष मामलों में प्रयोग की जाती है:
क्षेत्र जहां राष्ट्रपति क्षमादान दे सकता है:
- किसी केंद्रीय कानून द्वारा दोषसिद्ध मामलों में: यदि अपराध केंद्र सरकार के अधीन कानूनों के अंतर्गत हुआ हो।
- अदालत द्वारा दिए गए मृत्युदंड मामलों में: राष्ट्रपति को मृत्युदंड को कम करने या माफ करने की शक्ति है।
- सैन्य न्यायालय द्वारा दिए गए दंड मामलों में: यदि कोई व्यक्ति सैन्य न्यायालय से दंडित हुआ हो, तो राष्ट्रपति उस सजा को माफ कर सकता है।
अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति की शक्तियां:
- क्षमा (Pardon) – दोषी का अपराध पूरी तरह माफ किया जाता है और दंड समाप्त हो जाता है।
- निलंबन (Suspension) – दंड को कुछ समय के लिए रोक दिया जाता है, लेकिन यह पूर्ण रूप से समाप्त नहीं होता।
- परिहार (Remission) – दंड की अवधि को कम कर दिया जाता है।
- लघुकरण (Commutation) – दंड को कम लघु रूप में परिवर्तित किया जाता है, जैसे मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलना।
- उपशमन (Respite) – दोषी को विशेष परिस्थितियों में दंड से आंशिक राहत दी जाती है।
अनुच्छेद 72 का महत्व
अनुच्छेद 72 का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया के दौरान हुई त्रुटियों को सुधारना और मानवीय आधार पर दया करना है। यह राष्ट्रपति को अंतिम निर्णय की शक्ति प्रदान करता है, खासकर ऐसे मामलों में जहां न्याय का संतुलन बनाए रखना आवश्यक हो।
अनुच्छेद 72 की सीमाएं
राष्ट्रपति की इस शक्ति पर न्यायालय द्वारा न्यायिक समीक्षा की जा सकती है, यदि निर्णय मनमाना या अन्यायपूर्ण हो। यह शक्ति संविधान के तहत सीमित और निर्देशित है।
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Source : – भारत का संविधान