अनुच्छेद 71 (Article 71 in Hindi) – राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित या संसक्त विषय
(1) राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से उत्पन्न या संसक्त सभी शंकाओं और विवादों की जांच और विनिश्चय उच्चतम न्यायालय (Suprime court) द्वारा किया जाएगा और उसका विनिश्चय अंतिम होगा।
(2) यदि उच्चतम न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति के राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचन को शून्य घोषित कर दिया जाता है तो उसके द्वारा, यथास्थिति, राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के पद की शक्तियों के प्रयोग और कर्तव्यों के पालन में उच्चतम न्यायालय के विनिश्चय की तारीख को या उससे पहले किए गए कार्य उस घोषणा के कारण अविधिमान्य नहीं होंगे।
(3) इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित या संसक्त किसी विषय का विनियमन संसद् विधि द्वारा कर सकेगी।
(4) राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के रूप में किसी व्यक्ति के निर्वाचन को उसे निर्वाचित करने वाले निर्वाचकगण के सदस्यों में किसी भी कारण से विद्यमान किसी रिक्ति के आधार पर प्रश्नगत नहीं किया जाएगा।
व्याख्या
अनुच्छेद 71 राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के चुनाव के विवाद से संबंधित है जो किसी तरह कि विवाद होने पर उच्चतम न्यायालय मे अपील करने का शक्ति देता है ।
अनुच्छेद 71 के तहत प्रावधान:
- राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के चुनाव से जुड़े किसी भी विवाद का निपटारा केवल उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) द्वारा किया जाएगा।
- यदि उच्चतम न्यायालय राष्ट्रपति या उप-राष्ट्रपति का चुनाव अवैध घोषित कर देता है, तो उस निर्णय की तिथि से संबंधित व्यक्ति का पद स्वतः समाप्त हो जाएगा ।
- यदि निर्वाचन प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की त्रुटि होती है, तो उसे चुनाव को अवैध घोषित करने का आधार नहीं माना जाएगा, जब तक कि वह त्रुटि चुनाव के परिणाम को सीधे प्रभावित न करे।
- उच्चतम न्यायालय का निर्णय अंतिम और अनिवार्य होता है।
यह अनुच्छेद राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करता है। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बनाता है और उच्चतम न्यायालय को इस संदर्भ में सर्वोच्च अधिकार प्रदान करता है।
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Source : – भारत का संविधान