अनुच्छेद 61 (Article 61 in Hindi) – राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया
[1] जब संविधान के ओंतक्रमण के लिए राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाना हो, तब संसद का कोई सदन आरोप लगाएगा।
[2] ऐसा कोई आरोप तब तक नहीं लगाया जाएगा जब तक कि—
- ऐसा आरोप लगाने की प्रस्थापना किसी ऐसे संकल्प में अंतर्विष्ट नहीं है, जो कम से कम चौदह दिन की ऐसी लिखित सूचना के दिए जाने के पश्चात् प्रस्तावित किया गया है जिस पर उस सदन की कुल सदस्य संख्या के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों ने हस्ताक्षर करके उस संकल्प को प्रस्तावित करने का अपना आशय प्रकट किया है; और
- उस सदन की कुल सदस्य संख्या के कम से कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा ऐसा संकल्प पारित नहीं किया गया है।
[3] जब आरोप संसद के किसी सदन द्वारा इस प्रकार लगाया गया है; तब दूसरा सदन उस आरोप का अन्वेषण करेगा या कराएगा; और ऐसे अन्वेषण में उपस्थित होने का तथा अपना प्रतिनिधित्व कराने का राष्ट्रपति को अधिकार होगा।
[4] यदि अन्वेषण के परिणामस्वरूप यह घोषित करने वाला संकल्प कि राष्ट्रपति के विरुद्ध लगाया गया आरोप सिद्ध हो गया है; आरोप का अन्वेषण करने या कराने वाले सदन की कुल सदस्य संख्या के कम से कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा पारित कर दिया जाता है तो ऐसे संकल्प का प्रभाव उसके इस प्रकार पारित किए जाने की तारीख से राष्ट्रपति को उसके पद से हटाना होगा।
व्याख्या
अनुच्छेद 61 के अनुसार, राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए महाभियोग की प्रक्रिया अपनाई जाती है। राष्ट्रपति पर ‘संविधान का उल्लंघन’ करने पर महाभियोग चलाकर उसे पद से हटाया जा सकता है। हालांकि, संविधान में ‘संविधान का उल्लंघन’ की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है।
अनुच्छेद 61 के अनुसार महाभियोग प्रक्रिया:
महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में प्रारंभ किया जा सकता है। इस प्रस्ताव पर संबंधित सदन के कम से कम 1/4 सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए। राष्ट्रपति को 14 दिन का पूर्व नोटिस देना आवश्यक है।
- प्रथम चरण (प्रस्ताव का पारित होना):
- आरोपों की जांच के बाद प्रस्ताव को सदन में प्रस्तुत किया जाता है। प्रस्ताव को 2/3 बहुमत से पारित किया जाना चाहिए।
- दूसरे सदन में जांच:
- प्रस्ताव पारित होने के बाद इसे दूसरे सदन में भेजा जाता है। दूसरा सदन इन आरोपों की जांच करता है और संबंधित दस्तावेजों का मूल्यांकन करता है।
- राष्ट्रपति को स्वयं उपस्थित होकर या अपने प्रतिनिधि के माध्यम से अपना पक्ष रखने का अधिकार होता है।
- दूसरे सदन का निर्णय:
- यदि दूसरा सदन भी इन आरोपों को 2/3 बहुमत से सही पाता है, तो प्रस्ताव पारित कर दिया जाता है। इसके बाद राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है।
नोट: महाभियोग की प्रक्रिया अर्ध-न्यायिक (Quasi-judicial) है।
महाभियोग में शामिल सदस्य
- संसद के दोनों सदनों के मनोनीत सदस्य, जो राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते, महाभियोग में भाग ले सकते हैं।
- राज्य विधानसभाओं और केंद्रशासित प्रदेशों के निर्वाचित सदस्य, जो राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं, महाभियोग प्रक्रिया में शामिल नहीं होते।
अब तक किसी भी भारतीय राष्ट्रपति पर महाभियोग नहीं चलाया गया है।
महाभियोग की प्रक्रिया भारत में संविधान की सर्वोच्चता और राष्ट्रपति की संवैधानिक जिम्मेदारी सुनिश्चित करती है। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि यदि राष्ट्रपति संविधान के उल्लंघन में शामिल हो, तो उन्हें पद से हटाने का एक संवैधानिक और न्यायिक साधन उपलब्ध है।
राष्ट्रपति को पद से हटाने की महाभियोग प्रक्रिया जटिल है, जो यह सुनिश्चित करती है कि राष्ट्रपति केवल गंभीर परिस्थितियों में ही पद से हटाया जाए। इस प्रक्रिया से भारत के संविधान के संघीय ढांचे और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा होती है।
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Source : – भारत का संविधान