अनुच्छेद 60 (Article 60 in Hindi) – राष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
प्रत्येक राष्ट्रपति और प्रत्येक व्यक्ति, जो राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर रहा है या उसके कृत्यों का निर्वहन कर रहा है, अपना पद ग्रहण करने से पहले भारत के मुख्य न्यायमूर्ति या उसकी अनुपस्थिति में उच्चतम न्यायालय के उपलब्ध ज्येष्ठतम न्यायाधीश के समक्ष निम्नलिखित प्ररूप में शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा, अर्थात्: —
ईश्वर की शपथ लेता हूँ
\”मैं, अमुक ——————————-कि मैं श्रद्धापूर्वक भारत के राष्ट्रपति के पद का कार्यपालन सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूँ।
(अथवा राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन) करूंगा तथा अपनी पूरी योग्यता से संविधान और विधि का परिरक्षण, संरक्षण और प्रतिरक्षण करूँगा और मैं भारत की जनता की सेवा और कल्याण में निरत रहूँगा।\”।
व्याख्या
अनुच्छेद 60, राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण से संबंधित है –
अनुच्छेद 60 के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति को शपथ ग्रहण समारोह के दौरान निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है:
- शपथ दिलाने का अधिकारी:
- राष्ट्रपति को शपथ दिलाने का कार्य सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा किया जाता है।
- यदि मुख्य न्यायाधीश अनुपस्थित हों, तो यह कार्य सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश द्वारा किया जाता है।
- शपथ का उद्देश्य:
- शपथ ग्रहण करते समय राष्ट्रपति यह सुनिश्चित करता है कि वह:
- भारत के संविधान की रक्षा और उसका संरक्षण करेगा।
- अपने कर्तव्यों का ईमानदारी और निष्ठा से पालन करेगा।
- भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए कार्य करेगा।
- शपथ ग्रहण करते समय राष्ट्रपति यह सुनिश्चित करता है कि वह:
- शपथ का प्रारूप:
- राष्ट्रपति की शपथ संविधान में निर्धारित विशेष प्रारूप के अनुसार होती है।
- शपथ के दौरान राष्ट्रपति यह भी घोषणा करता है कि वह भारतीय नागरिकों की भलाई के लिए कार्य करेगा।
यह अनुच्छेद भारत में राष्ट्रपति पद की सवैंधानिक गरिमा और उसकी भूमिका को रेखांकित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति का कार्य संविधान और कानून के तहत हो तथा यह सुनिश्चित करना है कि वह अपने संवैधानिक कर्तव्यों को निष्ठापूर्वक निभाए।
Click here to read more from the Constitution Of India & Constitution of India in Hindi
Source : – भारत का संविधान