अनुच्छेद 54 (Article 54 in Hindi) – राष्ट्रपति का निर्वाचन
राष्ट्रपति का निर्वाचन ऐसे निर्वाचकगण के सदस्य करेंगे जिसमें–
- (क) संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य; और
- (ख) राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य, होंगे।
[स्पष्टीकरण–इस अनुच्छेद और अनुच्छेद 55 में, ”राज्य” के अंतर्गत दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र और पांडिचेरी संघ राज्यक्षेत्र हैं।]
व्याख्या
भारत में राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के माध्यम से होता है। इसका अर्थ है कि राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल (Electoral College) करता है, जिसमें संसद और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
निर्वाचक मंडल
राष्ट्रपति के निर्वाचन में निम्न सदस्य भाग लेते हैं:
- संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य:- (राज्यसभा और लोकसभा के मनोनीत सदस्य मतदान में भाग नहीं लेते)।
- राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य:- (राज्य विधान परिषद के सदस्य मतदान में भाग नहीं लेते)।
- दिल्ली और पुडुचेरी की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य।
राष्ट्रपति के निर्वाचन में निम्न सदस्य भाग नहीं लेते:
- संसद और राज्य विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य।
- राज्य विधान परिषदों (द्विसदनीय विधानमंडल वाले राज्यों में) के सदस्य।
- दिल्ली और पुडुचेरी विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य।
- वे सदस्य जिनकी विधानसभाएँ भंग हो चुकी हैं।
राष्ट्रपति का निर्वाचन प्रक्रिया (अनुच्छेद 54)
राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation) और एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote) द्वारा होता है।
1. सदस्य के मतों का मूल्य
राष्ट्रपति के निर्वाचन में विभिन्न राज्यों और संसद के सदस्यों के मतों का अलग-अलग मूल्य होता है, ताकि संघ और राज्यों के बीच संतुलन सुनिश्चित किया जा सके।
(क) राज्य विधायकों के मत का मूल्य:
- एक विधायक के मत का मूल्य राज्य की जनसंख्या पर निर्भर करता है।
मत का मूल्य = (राज्य की जनसंख्या / राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों की संख्या) × (1/1000)
(ख) सांसदों के मत का मूल्य:
- सभी राज्यों के विधायकों के मतों का कुल मूल्य, संसद के निर्वाचित सदस्यों के मतों के कुल मूल्य के बराबर होता है।
एक सांसद के मत का मूल्य =सभी विधायकों के मतों का कुल मूल्य / संसद के निर्वाचित सदस्यों की संख्या
2. मतदान प्रक्रिया:
- गुप्त मतदान होता है।
- प्रत्येक मतदाता को एक मतपत्र दिया जाता है।
- मतदाता उम्मीदवारों को अपनी वरीयता (1, 2, 3 आदि) के अनुसार अंकित करता है।
3. मतों की गणना:
- पहले चरण में प्रथम वरीयता के मतों की गणना होती है।
- यदि कोई उम्मीदवार आवश्यक मतों का कोटा प्राप्त कर लेता है, तो वह निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है।
- यदि नहीं, तो सबसे कम मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार के मत रद्द कर दिए जाते हैं, और उसकी द्वितीय वरीयता के मत अन्य उम्मीदवारों में स्थानांतरित कर दिए जाते हैं।
- यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है, जब तक कोई उम्मीदवार आवश्यक कोटा प्राप्त नहीं कर लेता।
4. न्यूनतम आवश्यक मतों का कोटा:
न्यूनतम मतों का कोटा निम्न प्रकार से निर्धारित होता है:
कोटा = (कुल वैध मतों की संख्या / 1+निर्वाचित पदों की संख्या) +1
राष्ट्रपति पद के लिए अर्हताएँ
राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को निम्नलिखित योग्यताएँ पूरी करनी चाहिए:
- वह भारत का नागरिक हो।
- उसकी आयु 35 वर्ष या अधिक हो।
- वह लोकसभा का सदस्य बनने के योग्य हो।
- वह किसी भी लाभ के पद पर न हो।
(वर्तमान राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल, या मंत्री लाभ के पद की श्रेणी में नहीं आते।)
नामांकन प्रक्रिया:
- उम्मीदवार को नामांकन के लिए कम से कम 50 प्रस्तावक और 50 अनुमोदक की आवश्यकता होती है।
- उम्मीदवार को ₹15,000 की जमानत राशि भारतीय रिज़र्व बैंक में जमा करनी होती है।
- यदि उम्मीदवार कुल वैध मतों का 1/6 भाग प्राप्त नहीं कर पाता, तो जमानत राशि जब्त कर ली जाती है।
चुनाव से संबंधित विवाद:
- राष्ट्रपति के चुनाव से जुड़े सभी विवादों की जांच भारत का उच्चतम न्यायालय करता है।
- उच्चतम न्यायालय का निर्णय अंतिम होता है।
- यदि राष्ट्रपति का चुनाव अवैध घोषित किया जाता है, तो उनके द्वारा लिए गए निर्णय और कार्य वैध माने जाते हैं।
भारतीय राष्ट्रपति का निर्वाचन प्रक्रिया संवैधानिक संतुलन और संघीय ढांचे के अनुरूप तैयार की गई है। इसमें संघ और राज्यों दोनों को समान प्रतिनिधित्व मिलता है। राष्ट्रपति का अप्रत्यक्ष चुनाव भारतीय संसदीय प्रणाली के साथ सद्भाव स्थापित करता है।
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Source : – भारत का संविधान