अनुच्छेद 45 (Article 45 in Hindi) – बालकों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का उपबंध
राज्य, इस संविधान के प्रारंभ से दस वर्ष की अवधि के भीतर सभी बालकों को चौदह वर्ष की आयु पूरी करने तक, निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने के लिए उपबंध करने का प्रयास करेगा।
व्याख्या
अनुच्छेद 45 उद्देश्य राज्य को बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए निर्देशित करना है। राज्य को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी बच्चों को 14 वर्ष की आयु तक निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्राप्त हो।
अनुच्छेद 45 का मुख्य उद्देश्य:
- बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करना: राज्य को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी बच्चों को 14 वर्ष की आयु तक निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्राप्त हो।
- शिक्षा का अधिकार: यह प्रावधान शिक्षा को मूल अधिकार नहीं बल्कि एक नीति निर्देशक तत्व के रूप में स्थापित करता है, जिसका उद्देश्य शिक्षा का सर्वव्यापी विस्तार करना है।
अनुच्छेद 45 का महत्व:
- शिक्षा का सार्वभौमिककरण:
- बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की गारंटी देना, ताकि कोई भी बच्चा गरीबी या अन्य सामाजिक कारणों से शिक्षा से वंचित न रहे।
- बालकों के विकास को बढ़ावा देना:
- शिक्षा बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यह उनके जीवन को बेहतर बनाने और समाज में बराबरी लाने में सहायक होती है।
- आर्थिक और सामाजिक विकास:
- शिक्षा से समाज के आर्थिक और सामाजिक विकास में योगदान होता है। यह बाल श्रम, भेदभाव और सामाजिक असमानताओं को कम करने में मदद करता है।
- आधिकारिक घोषणा:
- यह अनुच्छेद बच्चों को एक महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान करता है, जिससे उन्हें शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलता है।
संशोधन और संबंधित अधिनियम:
73वां संविधान संशोधन (1992)
इस संशोधन के बाद शिक्षा का अधिकार एक संवैधानिक प्रावधान के रूप में स्थापित हुआ, जिसे आरटीई (Right to Education) अधिनियम कहा जाता है। यह अधिनियम बच्चों को 6 से 14 वर्ष की आयु तक निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान करता है।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act), 2009:
इस अधिनियम के तहत, भारत सरकार ने 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान किया है। यह अधिनियम स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक शिक्षा की गारंटी देता है और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित करता है कि सभी बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्राप्त हो।
चुनौतियां:
- आर्थिक संसाधनों की कमी: राज्य को शिक्षा की सुविधा प्रदान करने के लिए पर्याप्त संसाधनों की आवश्यकता होती है, जो कुछ स्थानों पर सीमित हो सकते हैं।
- शिक्षा की गुणवत्ता: निःशुल्क शिक्षा की उपलब्धता से गुणवत्ता की चुनौती उत्पन्न हो सकती है, क्योंकि कई स्थानों पर शिक्षकों की कमी और पढाई के संसाधनों की कमी होती है।
- सांस्कृतिक और सामाजिक रुकावटें: कुछ समाजों में बालकों की शिक्षा को लेकर परंपरागत अवरोध हो सकते हैं, जैसे बाल विवाह, बाल श्रम या लैंगिक भेदभाव, जो शिक्षा की पहुंच को सीमित करते हैं।
अनुच्छेद 45 बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का एक महत्वाकांक्षी उद्देश्य है। यह शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत है, जो भविष्य में समाज के सर्वांगीण विकास और समानता की दिशा में सहायक होगा।
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Source : – भारत का संविधान