अनुच्छेद 43 (Article 43 in Hindi) – कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि
राज्य, उपयुक्त विधान या आर्थिक संगठन द्वारा या किसी अन्य रीति से कृषि के, उद्योग के या अन्य प्रकार के सभी कर्मकारों को काम, निर्वाह मजदूरी, शिष्ट जीवनस्तर और अवकाश का संपूर्ण उपभोग सुनिश्चित करने वाली काम की दशाएं तथा सामाजिक और सांस्कृतिक अवसर प्राप्त कराने का प्रयास करेगा और विशिष्टतया ग्रामों में कुटीर उद्योगों को वैयक्तिक या सहकारी आधार पर बढ़ाने का प्रयास करेगा।
व्याख्या
अनुच्छेद 43 के अनुसार, राज्य को यह प्रयास करना चाहिए कि वह श्रमिकों के लिए निर्वाह योग्य मजदूरी, उचित जीवन स्तर, और कार्य की परिस्थितियों में सुधार सुनिश्चित करे। यह अनुच्छेद राज्य को श्रमिकों के सामाजिक-आर्थिक कल्याण के लिए कदम उठाने का निर्देश देता है।
अनुच्छेद 43 के मुख्य प्रावधान:
- निर्वाह योग्य मजदूरी का प्रावधान:
- राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि श्रमिकों को उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त वेतन दिया जाए।
- मजदूरी इतनी होनी चाहिए कि श्रमिक और उनके परिवार का सम्मानपूर्वक जीवन यापन हो सके।
- उचित जीवन स्तर:
- श्रमिकों को स्वास्थ्य, आवास, शिक्षा, और अन्य आवश्यक सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं।
- उनके कार्यस्थल पर सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित की जाए।
- सहकारी संगठनों को प्रोत्साहन:
- राज्य को सहकारी संगठनों के विकास को बढ़ावा देना चाहिए ताकि श्रमिक अपनी सामूहिक शक्ति का उपयोग कर अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें।
राज्य की जिम्मेदारियां:
- मजदूरी अधिनियम 1948 और राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी अधिनियम जैसे कानूनों का निर्माण और कार्यान्वयन।
- श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाएं, जैसे:
- कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)।
- कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ESI)।
- न्यूनतम मजदूरी अधिनियम लागू करना।
- अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को भी इन लाभों के दायरे में लाने के लिए कदम उठाना।
महत्व:
- आर्थिक समानता: इस अनुच्छेद का उद्देश्य आय और अवसरों में असमानता को कम करना है।
- सामाजिक न्याय: श्रमिकों को एक सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार सुनिश्चित करता है।
- श्रमिकों का कल्याण: उचित मजदूरी और सुविधाओं से श्रमिक वर्ग का जीवन स्तर बेहतर होता है।
सीमाएं और चुनौतियां:
- अनौपचारिक क्षेत्र में कवरेज की कमी: भारत में अधिकतर श्रमिक अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत हैं, जहां न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा लागू करना चुनौतीपूर्ण है।
- कम मजदूरी और शोषण: कई क्षेत्रों में मजदूरों को अभी भी पर्याप्त वेतन नहीं मिलता।
- सहकारी संगठनों की कमी: सहकारी संगठनों के विकास में धीमी प्रगति श्रमिकों के अधिकारों को सीमित करती है।
अनुच्छेद 43 श्रमिकों के आर्थिक और सामाजिक कल्याण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यदि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, तो यह न केवल श्रमिक वर्ग की स्थिति सुधारने में मदद करेगा बल्कि सामाजिक और आर्थिक न्याय को बढ़ावा देगा। राज्य को इसे लागू करने के लिए ठोस नीतियां बनानी होंगी, खासकर अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों के लिए।
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Source : – भारत का संविधान