अनुच्छेद 42 (Article 42 in Hindi) – काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं का तथा प्रसूति सहायता का उपबंध
राज्य काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं को सुनिश्चित करने के लिए और प्रसूति सहायता के लिए उपबंध करेगा।
व्याख्या
अनुच्छेद 42 राज्य को यह निर्देश देता है कि वह श्रमिकों के लिए मानवोचित कार्य दशाओं की व्यवस्था करे और महिलाओं को प्रसूति के दौरान विशेष सहायता प्रदान करे। यह अनुच्छेद समाज के श्रमिक वर्ग, विशेष रूप से महिलाओं, के कल्याण के लिए बनाया गया है और राज्य को कल्याणकारी नीतियां अपनाने का निर्देश देता है।
अनुच्छेद 42 का मुख्य प्रावधान:
- मानवोचित कार्य दशाओं की व्यवस्था:
- राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि श्रमिकों को उनके कामकाजी माहौल में उचित और सुरक्षित स्थितियां मिलें।
- कार्यस्थल पर स्वास्थ्य, सुरक्षा, और सुविधाओं का ध्यान रखा जाए।
- प्रसूति के लिए सहायता:
- राज्य को ऐसी नीतियां और योजनाएं बनानी होंगी जो गर्भवती महिलाओं को उनकी प्रसूति से पहले और बाद में सहायता प्रदान करें।
- यह सहायता मातृत्व लाभ, स्वास्थ्य देखभाल, और आर्थिक सहायता के रूप में हो सकती है।
- प्रसूति अवकाश (Maternity Leave):
- महिलाओं को प्रसूति के दौरान उनके स्वास्थ्य और शिशु की देखभाल के लिए 3 महीने पहले और 3 महीने बाद में अवकाश दिया जाना चाहिए।
राज्य की जिम्मेदारियां:
- श्रमिक सुरक्षा कानूनों का निर्माण और कार्यान्वयन।
- प्रसूति लाभ अधिनियम, 1961 जैसे कानून लागू करना, जिसमें महिलाओं को:
- 26 सप्ताह तक का पेड मैटरनिटी लीव।
- स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच।
- काम पर लौटने के बाद उचित देखभाल और सुरक्षा।
- मानवोचित कार्य दशाओं के लिए श्रमिकों को न्यूनतम वेतन, सुरक्षित कार्यक्षेत्र, और कार्यस्थल पर उत्पीड़न से सुरक्षा सुनिश्चित करना।
महत्व:
- महिला सशक्तिकरण: महिलाओं को मातृत्व के दौरान सहायता देकर उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति को सुदृढ़ करना।
- श्रमिक कल्याण: कामकाजी माहौल में सुरक्षा और मानवोचित स्थिति सुनिश्चित करना।
- शिशु और मातृ स्वास्थ्य: प्रसूति के दौरान दी गई सहायता नवजात शिशु और मां के स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है।
सीमाएं और चुनौतियां:
- कार्यान्वयन में कमी: कुछ क्षेत्रों में कानूनों और नीतियों का सही क्रियान्वयन नहीं हो पाता।
- अनौपचारिक क्षेत्र की चुनौतियां: भारत में अधिकतर महिलाएं अनौपचारिक क्षेत्र में कार्य करती हैं, जहां उन्हें इन लाभों का पूरा लाभ नहीं मिल पाता।
- नियामक ढांचे की कमी: छोटे और मध्यम उद्यमों में प्रसूति लाभ देने के लिए उचित तंत्र नहीं है।
अनुच्छेद 42 सामाजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण आधार है। यह न केवल महिलाओं को उनके मातृत्व काल में सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि श्रमिक वर्ग को मानवोचित कार्य दशाएं उपलब्ध कराने का भी प्रयास करता है। इसके प्रभावी कार्यान्वयन से समाज में समानता और सामाजिक कल्याण को प्रोत्साहन मिलेगा।
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Source : – भारत का संविधान