अनुच्छेद 39a (Article 39A in Hindi) – समान न्याय और निःशुल्क विधिक सहायता
राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि विधिक तंत्र इस प्रकार काम करे कि समान अवसर के आधार पर न्याय सुलभ हो और वह, विशिष्टतया, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आर्थिक या किसी अन्य निर्योषयता के कारण कोई नागरिक न्याय प्राप्त करने के अवसर से वंचित न रह जाए, उपयुक्त विधान या स्कीम द्वारा या किसी अन्य रीति से निःशुल्क विधिक सहायता की व्यवस्था करेगा।
व्याख्या
अनुच्छेद 39A भारतीय संविधान के भाग IV के राज्य के नीति-निर्देशक तत्वों में शामिल है। इसे 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 के माध्यम से जोड़ा गया था। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि न्याय सभी नागरिकों के लिए समान अवसर के आधार पर सुलभ हो।
मुख्य प्रावधान
- समान न्याय और निःशुल्क विधिक सहायता का प्रावधान:
- राज्य को यह सुनिश्चित करना होगा कि न्याय तक पहुँच किसी नागरिक की आर्थिक स्थिति या अन्य किसी अवरोध के कारण सीमित न हो।
- गरीबों और कमजोर वर्गों को निःशुल्क विधिक सहायता (सरकारी वकील) उपलब्ध कराई जाए।
- न्याय प्रणाली को ऐसा बनाना कि यह सभी के लिए सुगम और निष्पक्ष हो।
- सरकारी प्रयास:
- राज्य को यह सुनिश्चित करना होगा कि कानूनी प्रक्रियाएं सरल, सस्ती, और सभी के लिए उपलब्ध हों।
- इसके लिए निःशुल्क कानूनी सहायता केंद्रों और सरकारी वकीलों की व्यवस्था की जाए।
महत्व और उद्देश्य
- सामाजिक न्याय का सुदृढ़ीकरण: अनुच्छेद 39A समाज में सामाजिक और आर्थिक न्याय को मजबूत करता है।
- लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा: यह अनुच्छेद संविधान की लोक कल्याणकारी राज्य की परिकल्पना को साकार करता है, जिसमें न्याय प्रणाली का लाभ सभी वर्गों को समान रूप से मिल सके।
- न्यायिक समानता की स्थापना: समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को न्यायिक प्रक्रिया में समान अवसर प्रदान करना इसका मुख्य उद्देश्य है।
- कानूनी प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण: अनुच्छेद 39A न्याय तक पहुँच को स्थानीय स्तर तक ले जाने और कानूनी सहायता को सरल और सुलभ बनाने की दिशा में काम करता है।
अनुच्छेद 39A के क्रियान्वयन के लिए कदम
- निःशुल्क विधिक सेवा प्राधिकरण का गठन:
- 1987 के विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम (Legal Services Authorities Act, 1987) के तहत राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) का गठन किया गया।
- NALSA गरीबों, महिलाओं, बच्चों, अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों, और अन्य कमजोर वर्गों के लिए निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करता है।
- न्याय तक पहुँच बढ़ाने के प्रयास:
- लोक अदालतों (People’s Courts) की स्थापना, जो विवादों के त्वरित और किफायती समाधान के लिए काम करती हैं।
- निःशुल्क कानूनी परामर्श और सहायता केंद्रों की स्थापना।
- कानूनी जागरूकता अभियान:
- कानूनी अधिकारों के प्रति लोगों को जागरूक करना ताकि वे न्याय प्राप्त करने के लिए अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकें।
अनुच्छेद 39A संविधान के सामाजिक न्याय के आदर्श को साकार करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। यह न केवल न्याय प्रणाली को सभी के लिए सुलभ बनाता है बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि आर्थिक असमानताओं के कारण न्याय की पहुँच बाधित न हो। NALSA, लोक अदालतों, और निःशुल्क विधिक सहायता कार्यक्रमों के माध्यम से, यह अनुच्छेद भारतीय लोकतंत्र में न्याय को एक वास्तविकता बनाता है।
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Source : – भारत का संविधान