अनुच्छेद 30 (Article 30 in Hindi) – शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक-वर्गों का अधिकार
(1) धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक-वर्र्गों को अपनी रुचि की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार होगा।
- [(1क) खंड (1) में निर्दिष्ट किसी अल्पसंख्यक-वर्ग द्वारा स्थापित और प्रशासित शिक्षा संस्था की संपत्ति के अनिवार्य अर्जन के लिए उपबंध करने वाली विधि बनाते समय, राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसी संपत्ति के अर्जन के लिए ऐसी विधि द्वारा नियत या उसके अधीन अवधारित रकम इतनी हो कि उस खंड के अधीन प्रत्याभूत अधिकार निर्बन्धित या निराकृत न हो जाए।]
(2) शिक्षा संस्थाओं को सहायता देने में राज्य किसी शिक्षा संस्था के विरुद्ध इस आधार पर विभेद नहीं करेगा कि वह धर्म या भाषा पर आधारित किसी अल्पसंख्यक-वर्ग के प्रबंध में है।
व्याख्या
अनुच्छेद 30 भारतीय संविधान में धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों को विशेष शैक्षिक अधिकार प्रदान करता है। यह उन्हें अपनी शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अधिकार देता है, ताकि वे अपनी संस्कृति, भाषा और धर्म को संरक्षित कर सकें। इस प्रावधान का उद्देश्य अल्पसंख्यकों को समान अवसर और स्वायत्तता प्रदान करना है, ताकि वे अपने बच्चों को अपनी भाषाओं और सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप शिक्षा दे सकें।
अनुच्छेद 30 के मुख्य प्रावधान
- शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार
- अल्पसंख्यकों को अपनी रुचि की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अधिकार मिलेगा। इसमें धार्मिक या भाषायी अल्पसंख्यक दोनों ही शामिल हैं।
- संपत्ति का संरक्षण
- राज्य द्वारा अल्पसंख्यकों द्वारा संचालित शिक्षा संस्थाओं की संपत्ति के अर्जन के लिए तय की गई क्षतिपूर्ति राशि से अल्पसंख्यक अधिकारों को निराकृत या निरोधित नहीं किया जा सकेगा।
- राज्य की सहायता में भेदभाव का निषेध
- राज्य अल्पसंख्यक संस्थाओं को आर्थिक सहायता में भेदभाव नहीं करेगा।
- इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि अल्पसंख्यक संस्थाओं को राज्य की मदद से अपनी शैक्षिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का समान अवसर मिलेगा।
- अल्पसंख्यकों का शिक्षा में अधिकार
- अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थाएं अपने बच्चों को अपनी भाषा और संस्कृति में शिक्षा देने का अधिकार रखती हैं।
अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थाओं के प्रकार
अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थाएं तीन प्रकार की हो सकती हैं:
- राज्य से आर्थिक सहायता प्राप्त संस्थान: ये संस्थान राज्य से आर्थिक सहायता और मान्यता प्राप्त होते हैं।
- राज्य से मान्यता प्राप्त, लेकिन आर्थिक सहायता प्राप्त नहीं करने वाले संस्थान: इन संस्थानों को राज्य से मान्यता तो मिलती है, लेकिन वे आर्थिक सहायता प्राप्त नहीं करते।
- राज्य से न तो मान्यता प्राप्त, न ही आर्थिक सहायता प्राप्त संस्थान: ये संस्थान पूरी तरह से स्वतंत्र होते हैं, और इन पर सामान्य कानून लागू होते हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले और सामान्य सिद्धांत
सर्वोच्च न्यायालय ने सेक्रेटरी ऑफ मलनकारा सीरियन कैथोलिक कॉलेज केस (2007) में अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन से संबंधित सामान्य सिद्धांत तय किए हैं। ये सिद्धांत निम्नलिखित हैं:
- स्वतंत्रता
- अल्पसंख्यकों को अपना शासी निकाय चुनने का अधिकार है, ताकि वे अपनी संस्थाओं को अच्छी तरह चला सकें।
- शिक्षण कर्मचारियों और शिक्षकेतर कर्मचारियों की नियुक्ति और उनके खिलाफ कार्रवाई का अधिकार भी उनके पास है।
- अर्थिक स्वतंत्रता
- वे अपनी संपत्ति और परिसंपत्तियों का उपयोग संस्थान के हित में कर सकते हैं।
- भेदभाव से बचाव
- अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों से अधिक लाभ में रखने का कोई अधिकार नहीं है। राज्य के सामान्य कानून सभी पर समान रूप से लागू होते हैं, और अल्पसंख्यक संस्थानों पर भी ये नियम लागू होंगे।
- कुप्रबंधन से बचाव
- अल्पसंख्यकों के शैक्षिक संस्थान प्रशासन में कुप्रबंधन और अकादमिक मानक को सुनिश्चित करने के लिए विनियामक उपाय किए जा सकते हैं। राज्य के द्वारा विद्यार्थी और शिक्षक कल्याण से संबंधित नियम भी लागू किए जा सकते हैं।
अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थाओं से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण सिद्धांत
- शैक्षिक मानक का पालन
- अल्पसंख्यक संस्थाओं को शिक्षण मानकों, पाठ्यक्रम, स्टाफ की नियुक्ति और अनुशासन से संबंधित राज्य के निर्धारित अर्हता और मानदंडों का पालन करना पड़ता है।
- राज्य सहायता के बावजूद स्वायत्तता
- राज्य की सहायता से अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थाओं की प्रकृति और चरित्र में कोई बदलाव नहीं होगा। सहायता की शर्तों के साथ ये संस्थान अपनी स्वायत्तता बनाए रखेंगे।
- अनुदान प्राप्त संस्थानों की स्वतंत्रता
- अनुदान रहित अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को व्यय पद्धति के अनुसार शिक्षक और कर्मचारियों की नियुक्ति का अधिकार होगा।
अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यकों को उनके शैक्षिक अधिकारों की सुरक्षा प्रदान करता है। यह उन्हें अपनी संस्कृति, भाषा और धर्म को बनाए रखने के लिए स्वायत्तता देता है। हालांकि, यह अधिकार कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार से बचने के लिए विनियामक उपायों से भी जुड़ा है। अनुच्छेद 30 का उद्देश्य समानता और स्वायत्तता सुनिश्चित करना है, ताकि अल्पसंख्यकों को शैक्षिक संस्थाओं के माध्यम से अपने सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों को संरक्षित करने का अवसर मिले।
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Source : – भारत का संविधान