अनुच्छेद 28 (Article 28 in Hindi) – कुछ शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता
(1) राज्य-निधि से पूर्णतः पोषित किसी शिक्षा संस्था में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी।
(2) खंड (1) की कोई बात ऐसी शिक्षा संस्था को लागू नहीं होगी जिसका प्रशासन राज्य करता है किंतु जो किसी ऐसे विन्यास या न्यास के अधीन स्थापित हुई है जिसके अनुसार उस संस्था में धार्मिक शिक्षा देना आवश्यक है।
(3) राज्य से मान्यता प्राप्त या राज्य-निधि से सहायता पाने वाली शिक्षा संस्था में उपस्थित होने वाले किसी व्यक्ति को ऐसी संस्था में दी जाने वाली धार्मिक शिक्षा में भाग लेने के लिए या ऐसी संस्था में या उससे संलग्न स्थान में की जाने वाली धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के लिए तब तक बाध्य नहीं किया जाएगा जब तक कि उस व्यक्ति ने, या यदि वह अवयस्क है तो उसके संरक्षक ने, इसके लिए अपनी सहमति नहीं दे दी है।
व्याख्या
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 28 में यह उल्लेख किया गया है कि राज्य निधि से पूर्णतः पोषित किसी शिक्षा संस्था में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जानी चाहिए। इस प्रावधान के अंतर्गत, ऐसी संस्थाओं में धार्मिक उपासना या शिक्षा में भाग लेने के लिए किसी भी व्यक्ति को उसकी सहमति के बिना बाध्य नहीं किया जा सकता है। अवयस्क के मामले में, उसके संरक्षक की सहमति की आवश्यकता होती है।
अनुच्छेद 28 के प्रकार
- पूरी तरह रख-रखाव राज्य करने वाली संस्थाएँ:
- इन संस्थाओं में राज्य द्वारा पूर्ण तरह संचालन किया जाता है और वहाँ कोई भी धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाती।
- राज्य द्वारा प्रशासित संस्थाएँ, लेकिन विन्यास या न्यास के तहत स्थापित:
- इन संस्थाओं का प्रशासन राज्य द्वारा किया जाता है, लेकिन उनकी स्थापना किसी विन्यास या न्यास के अधीन होती है। इस प्रकार की संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा की अनुमति हो सकती है।
- राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थाएँ:
- इन संस्थाओं को राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त होती है और वे राज्य द्वारा वित्त सहायता प्राप्त करती हैं, लेकिन धार्मिक शिक्षा के प्रति यहाँ पर भी प्रतिबंध होता है।
- राज्य द्वारा वित्त सहायता प्राप्त कर रही संस्थाएँ:
- इन संस्थाओं को राज्य द्वारा वित्त सहायता प्राप्त की जाती है, लेकिन यहाँ पर भी धार्मिक शिक्षा की अनुमति स्वैच्छिक आधार पर हो सकती है। यदि छात्र अवयस्क है, तो उसके अभिभावक की सहमति आवश्यक होगी।
अनुच्छेद-28 का उद्देश्य
- धर्मनिरपेक्षता की रक्षा: सुनिश्चित करना कि राज्य द्वारा वित्तपोषित संस्थान धर्मनिरपेक्ष बने रहें।
- धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान: किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध धार्मिक शिक्षा में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
- शिक्षा और धर्म का संतुलन: शिक्षा संस्थानों में धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष प्रावधानों के बीच संतुलन बनाए रखना।
अनुच्छेद 28 भारतीय शिक्षा प्रणाली में धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक निर्देशों की प्रतिबंध लगाकर शिक्षा संस्थाओं को धर्मनिरपेक्षता का पालन करने के लिए प्रेरित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि राज्य निधि से पूर्णतः पोषित संस्थाओं में सामाजिक समानता और विविधता को समर्थन दिया जाए, बिना किसी धर्मीय पक्षपात के।
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Source : – भारत का संविधान