अनुच्छेद 24 (Article 24 in Hindi) – कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध
चौदह वर्ष से कम आयु के किसी बालक को किसी कारखाने या खान में काम करने के लिए नियोजित नहीं किया जाएगा या किसी अन्य परिसंकटमय नियोजन में नहीं लगाया जाएगा।
व्याख्या
अनुच्छेद 24 भारतीय संविधान में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के खतरनाक कार्यों में नियोजन को प्रतिबंधित करता है। यह प्रावधान बच्चों को कारखानों, खानों, निर्माण स्थलों, और रेलवे जैसे खतरनाक कार्यों में नियोजन से सुरक्षा प्रदान करता है। हालांकि, यह नुकसान न पहुंचाने वाले या निर्दोष कार्यों में बालकों के नियोजन को प्रतिबंधित नहीं करता।
बाल श्रम के निषेध के लिए कानून
बाल श्रम रोकने और बच्चों की सुरक्षा के लिए भारत में कई महत्वपूर्ण कानून बनाए गए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- बाल श्रम (प्रतिषेध एवं नियमन) अधिनियम, 1986:
- यह कानून खतरनाक उद्योगों में बच्चों के नियोजन पर रोक लगाता है और निर्दोष कार्यों में नियोजन के लिए नियम बनाता है।
- अन्य संबंधित कानून:
- बालक नियोजन अधिनियम, 1938
- कारखाना अधिनियम, 1948
- खान अधिनियम, 1952
- वाणिज्य पोत परिवहन अधिनियम, 1958
- बागान श्रम अधिनियम, 1951
- मोटर परिवहन कर्मकार अधिनियम, 1951
- प्रशिक्षु अधिनियम, 1961
- बीड़ी एवं सिगार कर्मकार अधिनियम, 1966
उच्चतम न्यायालय के निर्देश (1996)
1996 में, उच्चतम न्यायालय ने बाल श्रम को रोकने और बच्चों के पुनर्वास के लिए बाल श्रम पुनर्वास कल्याण कोष की स्थापना का निर्देश दिया।
- प्रत्येक बालक के लिए ₹20,000 तक उस नियोक्ता से दंड का प्रावधान है, जिसने 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को नियोजित किया।
- इस निधि का उपयोग बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण में सुधार के लिए किया जाता है।
बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005
इस अधिनियम के तहत:
- राष्ट्रीय और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोगों की स्थापना की गई।
- बालकों के अधिकारों के उल्लंघन या उनके विरुद्ध अपराधों पर शीघ्र विचारण के प्रावधान किए गए।
2006 का सरकारी प्रतिबंध
2006 में, सरकार ने निम्नलिखित क्षेत्रों में बच्चों के नियोजन पर रोक लगा दी:
- घरेलू नौकर के रूप में काम।
- होटल, रेस्तरां, दुकानें, कारखाने, रिसॉर्ट, स्पा, चाय की दुकानें आदि।
14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को इन क्षेत्रों में नियोजित करने पर अभियोजन और दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है।
बाल श्रम संशोधन अधिनियम, 2016
बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 को संशोधित कर इसे बाल एवं किशोर श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 का नाम दिया गया।
संशोधन के मुख्य बिंदु:
- 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी प्रकार के कार्य में नियोजित करना प्रतिबंधित।
- 14-18 वर्ष की आयु के किशोरों को खतरनाक उद्योगों में काम करने से मना किया गया।
- शिक्षा का अधिकार: बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर देने के लिए इस अधिनियम को अनुच्छेद 21a के साथ जोड़ा गया।
अनुच्छेद 24 का महत्व
- बालकों का संरक्षण: यह बच्चों को खतरनाक और शोषणकारी कार्यों में शामिल होने से बचाता है।
- शिक्षा का अधिकार: बाल श्रम रोकने से बच्चों को स्कूल जाने और अपनी शिक्षा पूरी करने का अवसर मिलता है।
- आर्थिक सुधार: बाल श्रम रोकने से परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है, क्योंकि नियोक्ता बच्चों की जगह वयस्कों को रोजगार देने के लिए प्रेरित होते हैं।
अनुच्छेद 24 न केवल बाल श्रम के निषेध का प्रावधान करता है, बल्कि यह बच्चों के समग्र विकास, शिक्षा और अधिकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण संवैधानिक उपाय है। सरकार और समाज के सम्मिलित प्रयासों से इस प्रावधान को प्रभावी बनाया जा सकता है।
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Source : – भारत का संविधान