जैन धर्म का इतिहास:- जैन धर्म भारत में प्रचलित सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। इसका मूल दर्शन अहिंसा और पराक्रम पर आधारित है। यह धर्म मुख्य रूप से तीन रत्नों (त्रिरत्न) पर आधारित है: सम्यक ज्ञान, सम्यक दृष्टि और सम्यक आचरण। जैन धर्म का मुख्य उद्देश्य आत्मा को मोक्ष या निर्वाण की प्राप्ति कराना है जिसमें आत्मा सभी कर्मों से ऊपर उठकर पूर्ण शांति और ज्ञान प्राप्त करती है।
जैन धर्म का इतिहास
जैन धर्म का इतिहास का आरंभ लगभग 5000 वर्ष पूर्व माना जाता है। इसके संस्थापक ऋषभदेव थे, जो पहले तीर्थंकर के रूप में पूजे जाते हैं। जैन धर्म के 24 तीर्थंकर हुए हैं, जिनमें भगवान महावीर अंतिम और सबसे प्रमुख माने जाते हैं। महावीर स्वामी का जन्म 599 ई.पू. में हुआ था और उन्हें जैन धर्म का पुनर्संस्थापक माना जाता है।
तीर्थंकर का अर्थ है – “वह जिसने सांसारिक बाधाओं को पार करने के बाद निर्वाण प्राप्त किया है और लोगों को उस मार्ग पर चलने की शिक्षा देता है।” महावीर स्वामी ने जैन धर्म के सिद्धांतों को सरल रूप में प्रस्तुत किया और आम जनता को सत्य, अहिंसा और संयम का पालन करने की प्रेरणा दी। उनके द्वारा प्रचारित “त्रिरत्न” (सम्यक ज्ञान, सम्यक दृष्टि और सम्यक आचरण) जैन धर्म के महत्वपूर्ण सिद्धांतों में शामिल हैं।
जैन धर्म के विचार
- अहिंसा (Non-Violence):- जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत है। जैन धर्म के अनुयायी किसी भी तरह की हिंसा नहीं करते हैं, चाहे वह मानसिक, वाचिक या शारीरिक हो। यह केवल मनुष्यों पर ही लागू नहीं होता, बल्कि हर जीवित प्राणी पर लागू होता है।
- अनेकान्तवाद (Relativity of Truth):- जैन दर्शन के अनुसार, एक ही घटना या वस्तु के कई कोण हो सकते हैं, इसलिए हमें सत्य की महत्व को समझना चाहिए और केवल एक दृष्टिकोण पर जोर नहीं देना चाहिए।
- अपरिग्रह (Non-Possessiveness):- जैन धर्म इस विचार को बढ़ावा देता है कि किसी को धन, कपड़े या संपत्ति के लिए अत्यधिक लालच नहीं करना चाहिए। यह भिक्षुओं के लिए विशेष रूप से सच है, लेकिन गृहस्थ को भी नियंत्रित जीवन जीने की सलाह दी जाती है।
- ब्रह्मचर्य (Chastity):- जैन धर्म में ब्रह्मचर्य का पालन करना महत्वपूर्ण माना जाता है। यह आत्मसंयम की एक अवस्था है, जिसमें कामुक इच्छाओं से मुक्ति पाई जाती है।
- सत्य (Truth):- जैन धर्म के अनुसार हमें हमेशा सत्य का पालन करना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में झूठ नहीं बोलना चाहिए। सत्य को किसी भी स्थिति में नहीं छोड़ा जा सकता।
जैन धर्म के सिद्धांत
जैन धर्म का मानना है कि कर्म एक प्रकार की सूक्ष्म अदृश्य शक्ति है जो आत्मा को बांधती है। अच्छे कर्म आत्मा को शुद्ध करते हैं और बुरे कर्म आत्मा को अशुद्ध करते हैं। आत्मा को कर्म के बंधनों से मुक्त करने के लिए तप, ध्यान और संयम का अभ्यास करना आवश्यक होता है। कर्मों से मुक्ति पाने का अंतिम लक्ष्य मोक्ष या निर्वाण की प्राप्ति है, जो संसार के जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति दिलाता है।
जैन धर्म में पूजा और तीर्थ स्थल
जैन धर्म में पूजा का मुख्य रूप से ध्यान और तप पर जोर दिया गया है। मूर्तिपूजा भी की जाती है, लेकिन इसका उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और तीर्थंकरों के आदर्शों को स्मरण करना होता है। जैन धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शिखरजी, पावापुरी, रणकपुर, और पालीताना प्रमुख हैं। ये स्थान जैन धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यधिक पवित्र माने जाते हैं।
जैन धर्म के प्रमुख त्यौहार
- महावीर जयंती:- भगवान महावीर की जयंती, जैन धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे प्रमुख त्यौहार है।
- पर्युषण पर्व:- यह जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें 8 दिनों तक उपवास और साधना की जाती है।
- संवत्सरी:- यह पर्व आत्मा की शुद्धि और क्षमा याचना का पर्व है, जिसमें सभी एक-दूसरे से क्षमा मांगते हैं।
जैन धर्म के ग्रंथ
जैन धर्म के ग्रंथों को “आगम” कहा जाता है। ये ग्रंथ महावीर स्वामी की शिक्षाओं पर आधारित हैं। जैन धर्म के अनुयायी मुख्य रूप से दो प्रमुख संप्रदायों में विभाजित हैं – श्वेतांबर और दिगंबर। दोनों ही संप्रदायों के अपने-अपने ग्रंथ और मान्यताएं हैं, लेकिन इनकी मूल शिक्षाएं समान हैं। श्वेतांबर संप्रदाय के अनुसार जैन आगमों को 12 भागों में विभाजित किया गया है, जबकि दिगंबर संप्रदाय के अनुसार इन ग्रंथों का विभाजन थोड़ा भिन्न है।
जैन धर्म की वर्तमान स्थिति
जैन धर्म के अनुयायी मुख्य रूप से भारत में रहते हैं, लेकिन इसकी शिक्षा और सिद्धांत वैश्विक स्तर पर भी प्रभावित कर रहे हैं। जैन समुदाय को व्यापारिक क्षेत्र में सफल माना जाता है, और ये लोग अक्सर अपने धार्मिक सिद्धांतों के अनुसार जीवन जीते हैं।
निष्कर्ष
जैन धर्म का इतिहास, सिद्धांत, और संस्कृति न केवल प्राचीन काल से ही मानवता को शांति और अहिंसा का संदेश देती आई है, बल्कि यह आज भी समाज को सादगी और नैतिकता का मार्ग दिखाता है। इसका अहिंसा और संयम पर आधारित जीवन दर्शन हर व्यक्ति को एक सकारात्मक और संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देता है।