क्रिया-विशेषण (Kriya Visheshan) वह शब्द होता है जो विशेषण के रूप में प्रयोग होता है और किसी क्रिया को विशेषता से बताता है। इसे हिंदी व्याकरण में एक प्रकार के विशेषण के रूप में मान्यता प्राप्त है। क्रिया विशेषण क्रिया के साथ एक मिलान का कार्य करता है और उसे विशेषता से संकेतित करता है। यह किसी क्रिया के गुण, योग्यता, समय, स्थान, विधि, अवस्था, आदि को बताता है।
क्रिया-विशेषण क्या है? (Kriya Visheshan)
जो शब्द वाक्य में क्रिया की विशेषता प्रकट करते हैं, “क्रिया-विशेषण” कहलाते हैं; जैसे- वह जोर से रोता है। इस वाक्य में ‘जोर से‘ शब्द क्रिया-विशेषण है क्योंकि वह ‘रोता है’ क्रिया की विशेषता प्रकट करता है।
क्रिया-विशेषण के उदाहरण:-
- वह कल आपसे मिलेंगे।
- वे पार्टी में जल्दी पहुंच गए।
- चाबियाँ यहाँ छिपी हुई थीं।
- हम जल्द ही पार्क जा रहे हैं।
क्रिया-विशेषण का वर्गीकरण (Classification of Adverb)
समान्यतः क्रिया-विशेषण (Kriya Visheshan) का विभाजन तीन भागों में किया जाता है:-
- अर्थ के आधार पर क्रिया-विशेषण
- प्रयोग के आधार पर क्रिया-विशेषण
- रूप के आधार पर क्रिया-विशेषण
अर्थ के आधार पर क्रिया विशेषण के प्रकार
अर्थ के आधार पर क्रिया-विशेषण के विभिन्न प्रकार होते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण क्रिया-विशेषणों के उदाहरण हैं:-
- स्थानवाचक क्रिया-विशेषण (Adverb of place)
- कालवाचक क्रिया-विशेषण (Adverb of time)
- परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण (Adverb of quantity)
- रीतिवाचक क्रिया-विशेषण (Adverb of manner)
1 .स्थानवाचक क्रिया-विशेषण
जो अविकारी या अव्यय शब्द किसी क्रिया के व्यापार-स्थान का बोध कराते हैं, उन्हें “स्थानवाचक क्रिया-विशेषण” कहते हैं। अथवा, ऐसे शब्द जिनसे स्थान का बोध होता है, वे “स्थानवाचक क्रिया-विशेषण” कहलाते हैं; जैसे-
- वह बाहर सो रहा है।– इस वाक्य में “बाहर” शब्द से स्थान का बोध होता है। अतः यहाँ “बाहर” शब्द स्थानवाचक क्रिया-विशेषण है।
- कनिका यहाँ चल रही है।– इस वाक्य में “यहाँ” चल क्रिया के व्यापार-स्थान का बोध करा रही है।
इसी प्रकार “यहाँ, वहाँ, कहाँ, जहाँ, सामने, नीचे, ऊपर, आगे, भीतर, बाहर” आदि शब्द भी स्थानवाचक क्रिया-विशेषण हैं। कभी-कभी “में, पर” शब्द भी संज्ञा शब्दों के साथ प्रयोग होने पर स्थानवाचक क्रिया-विशेषण बन जाते हैं। जैसे-
- रामू छत पर खेल रहा है।
- चूहा जाल में फस गया।
स्थानवाचक क्रिया-विशेषण के उदाहरण:-
- मैंने चाबियाँ यहीं मेज पर छोड़ दी हैं।
- उसने अपने गुम हुए फोन को हर जगह खोजा।
- बिल्ली बक्से के अंदर छिपी हुई है।
इन वाक्यों में क्रमशः “यहीं, हर जगह, अंदर” आदि शब्द स्थानवाचक क्रिया-विशेषण के उदाहरण हैं।
2. कालवाचक क्रिया-विशेषण
जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने का समय बतलाते हैं, उन्हें “कालवाचक क्रिया-विशेषण” कहते हैं। अथवा, ऐसे शब्द जिनसे समय का बोध होता है, उन्हे “कालवाचक क्रियाविशेषण” कहलाते हैं; जैसे-
- खुशी ने सुबह खाना खाया था। – इस वाक्य में सुबह शब्द समय का ज्ञान हो रहा है, अतः ‘सुबह‘ शब्द कालवाचक क्रिया-विशेषण है।
- वह यहाँ प्रतिदिन आता है। – इस वाक्य में ‘प्रतिदिन‘ शब्द कालवाचक क्रिया-विशेषण है।
इसी प्रकार “बहुधा, जब, तब, आज, कल, सवेरे, तुरत, सदा, परसों, पहले, पीछे, कभी, प्रतिदिन, अब तक, अभी-अभी, बार-बार” आदि शब्द भी कालवाचक क्रिया-विशेषण हैं।
कालवाचक क्रिया-विशेषण के उदाहरण:-
- मैं उससे कल पार्क में मिला था।
- वे जल्द ही यहां पहुंचेंगे।
- मैं अभी आपके प्रश्न का उत्तर दे रहा हूं।
- हम इस परियोजना पर बाद में चर्चा कर सकते हैं।
- हम आज समुद्र तट पर जा रहे हैं।
इन वाक्यों में क्रमशः “कल, जल्द ही, अभी” आदि शब्द कालवाचक क्रिया-विशेषण के उदाहरण हैं।
3. परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण
जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के परिमाण अथवा निश्चित संख्या का बोध कराते हैं, उन्हें “परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण” कहते हैं। अथवा, जो शब्द क्रिया के परिमाण (नाप या तोल आदि) को बतलाते हैं, वे “परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण” कहलाते हैं; जैसे-
- दिल्ली में उसने केवल कुतुबमीनार देखा।– इस वाक्य में ‘केवल‘ शब्द परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण है।
- वह बहुत खाता है।– इस वाक्य में ‘बहुत‘ शब्द परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण है।
इसी प्रकार “बहुत, अधिक,अधिकाधिक पूर्णतया, सर्वथा, कुछ, थोड़ा, काफ़ी, केवल, यथेष्ट, इतना, उतना, कितना, थोड़ा-थोड़ा, तिल-तिल, एक-एक करके” आदि शब्द भी परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण हैं।
परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण के उदाहरण:-
- उसने लगभग पूरी पहेली पूरी कर ली।
- कमरा पूरी तरह से नीले रंग से सजाया गया था।
- सूप तुरंत खाने के लिए बहुत गर्म था।
उपरोक्त वाक्यों में क्रमशः “लगभग, पूरी तरह से, बहुत” आदि शब्द परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण के उदाहरण हैं।
4. रीतिवाचक क्रिया-विशेषण
जो अविकारी या अव्यय शब्द किसी क्रिया की रीति का बोध कराए, वह “रीतिवाचक क्रिया-विशेषण” कहलाते है। अथवा, ऐसे शब्द जिनसे किसी क्रिया के करने की रीति या ढंग का बोध होता है, उन्हें “रीतिवाचक क्रिया-विशेषण” कहते हैं; जैसे-
- वह तेजी से दौड़ता है। – इस वाक्य में ‘तेजी से‘ शब्द रीतिवाचक क्रिया-विशेषण है।
- वधु पक्ष द्वारा सुविवाह की रीति को तोड़ने की एवज में वर पक्ष ने वधु पक्ष से नुकसान लिया। – इस वाक्य में “सुविवाह” रीतिवाचक क्रिया-विशेषण का बोध करा रहा है।
इसी प्रकार “जल्दी से, धीरे से, सावधानी से, जोर से, नरमी से, चमकते हुए, आनंद से, गुस्से से, चुपचाप, आसानी से, इनायत से, धैर्यपूर्वक, बलपूर्वक, सुचारू रूप से, सावधानी से, सहजता से, सुंदर ढंग से, तेजी से, बलपूर्वक, आज़ादी से” आदि शब्द भी रीतिवाचक क्रिया-विशेषण हैं।
रीतिवाचक क्रिया-विशेषण के उदाहरण:-
- उसने स्टेज पर शानदार डांस किया।
- रसोइये ने जल्दी से खाना बना दिया।
- उसने पहेली को आसानी से हल कर लिया।
- फिल्म के दौरान बच्चा जोर-जोर से बोला।
- दौड़ में एथलीट तेजी से दौड़ा।
उपरोक्त वाक्यों में क्रमशः “शानदार, जल्दी से, आसानी से, जोर जोर, तेजी से” आदि शब्द रीतिवाचक क्रिया-विशेषण के उदाहरण हैं।
प्रयोग के आधार पर क्रिया-विशेषण के प्रकार
प्रयोग के आधार पर क्रिया-विशेषण (Kriya Visheshan) के तीन भेद होते हैं; जो निम्नलिखित हैं-
- साधारण क्रिया-विशेषण
- संयोजक क्रिया-विशेषण
- अनुबद्ध क्रिया-विशेषण
1 .साधारण क्रिया-विशेषण (Simple Adverb)
वे क्रिया-विशेषण जिनका प्रयोग वाक्य में स्वतंत्र रूप से होता है, उन्हें “साधारण क्रिया-विशेषण” कहते हैं।
साधारण क्रिया-विशेषण के उदाहरण-
- वह लड़का कहाँ चला गया?
- तुम कब आए?
- यह क्या हो गया।
- बेटा जल्दी आओ।
इन वाक्यों में “कहाँ, कब, क्या, जल्दी” आदि का प्रयोग स्वतंत्र रूप में हो रहा है, क्यूंकि ये सीधे क्रिया से संबंधित हैं। अतः ये शब्द साधारण क्रिया-विशेषण हैं।
2. संयोजक क्रिया-विशेषण (Conjunctive Adverb)
ऐसे क्रिया-विशेषण जिनका सम्बन्ध किसी उपवाक्य से होता है, उन्हें “संयोजक क्रिया-विशेषण” कहते हैं। जैसे- “हालांकि,” “इसलिए,” “इसके अलावा,” “फिर भी,” और “इस बीच” आदि संयोजक क्रिया-विशेषण हैं।
संयोजक क्रिया-विशेषण के उदाहरण-
- जब तक तुम आओगे, तब तक हम चले जाएंगे।
- जहाँ तुम खड़े हो, वहां मेरा स्कूल था।
- यहाँ हम रो रहे हैं, वहां वे हँस रहे हैं।
इन वाक्यों में “जब तक….तब तक”, “जहाँ…..वहां” आदि शब्द भी “संयोजक क्रिया-विशेषण” हैं।
3. अनुबद्ध क्रिया-विशेषण
ऐसे क्रिया-विशेषण जिनका प्रयोग निश्चय के लिए वाक्य में कहीं भी होता हैं, उन्हें “अनुबद्ध क्रिया-विशेषण” कहते हैं।
अनुबद्ध क्रिया-विशेषण के उदाहरण-
- कुंभकरण के खाने भर की देर है।
- मेरा काम तो गलत ही हुआ है।
रूप के आधार पर क्रिया-विशेषण के प्रकार
रूप के आधार पर भी क्रिया-विशेषण (Kriya Visheshan) के तीन ही भेद होते हैं; जो निम्नलिखित हैं-
- मूल क्रिया-विशेषण
- यौगिक क्रिया-विशेषण
- स्थानीय क्रिया-विशेषण
1 .मूल क्रिया-विशेषण (Basic Adverb)
वे शब्द जो किसी अन्य किसी शब्द (संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण) के साथ जुड़े बिना क्रिया-विशेषण बन जाते हैं, उन्हें “मूल क्रिया-विशेषण” कहते हैं। जैसे- पास, दूर, ऊपर, आज, सदा, अचानक, फिर, नहीं, ठीक आदि शब्द मूल क्रिया-विशेषण हैं।
मूल क्रिया-विशेषण के उदाहरण:-
- वह अचानक खो गया।
- डॉक्टर ने मरीज को ठीक कर दिया।
2. यौगिक क्रिया-विशेषण (Compound Adverb)
वे शब्द जो किसी अन्य किसी शब्द (संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण) के साथ जुड़कर क्रिया-विशेषण बनते हैं, उन्हें “यौगिक क्रिया-विशेषण” कहते हैं।
यौगिक क्रिया-विशेषण के उदाहरण:-
- संज्ञा से यौगिक क्रियाविशेषण– सवेरे, सायं, आजन्म, क्रमशः, प्रेमपूर्वक, रातभर, मन से आदि।
- सर्वनाम से यौगिक क्रियाविशेषण– यहाँ, वहाँ, इतना, उतना, अब, कब, जब, जहाँ, जिससे आदि।
- विशेषण से यौगिक क्रियाविशेषण– चुपके, पहले, दूसरे, धीरे आदि।
- क्रिया से यौगिक क्रियाविशेषण– खाते, पीते, सोते, उठते, बैठते, जागते आदि।
3. स्थानीय क्रिया-विशेषण (Place-specific Adverb)
वे शब्द जो अपना रूप बदले बिना किसी विशेष स्थान पर आते हैं, उन्हें “स्थानीय क्रिया-विशेषण” कहते हैं।
स्थानीय क्रिया-विशेषण के उदाहरण:-
- मैंने अपनी जैकेट वहीं कुर्सी पर छोड़ दी।
- किताब बिस्तर के नीचे छिपी हुई है।
इन वाक्यों में “वहीं, नीचे” आदि शब्दों रूप बदले बिना विशेष स्थान पर प्रयोग किए गए है, अतः यह “स्थानीय क्रिया-विशेषण” हैं।
विशेषण और क्रिया-विशेषण में अंतर
क्रिया-विशेषण और विशेषण में अंतर निम्नलिखित है-
विशेषण | क्रिया-विशेषण |
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ऐसे शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, उन्हें विशेषण कहते हैं। | ऐसे शब्द जो किसी क्रिया की या अन्य किसी विशेषण की विशेषता बताते हैं, उन्हें क्रिया-विशेषण कहते हैं। |
उदाहरण के लिए-यह काली गाय है।नरेंद्र अच्छा वक्ता है। | उदाहरण- यह काली गाय शांती से चर रही है।नरेंद्र वहुत अच्छा वक्ता है। |