हिन्दी व्याकरण क्या है?(What is Hindi Grammar)
हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar)- हिंदी भाषा का वह अध्ययन है जो हमें शुद्ध और सही तरीके से हिंदी पढ़ना, लिखना, बोलना और समझना सिखाता है। हिंदी भाषा बोलने, सीखने या लिखने के लिए हिंदी व्याकरण का सही ज्ञान होना बहुत जरूरी है। हिंदी व्याकरण हिंदी भाषा अध्ययन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हिंदी व्याकरण हमें हिंदी भाषा को शुद्ध करने वाले सभी नियमों का बोध कराता है।
व्याकरण विभिन्न नियमों के आधार पर किसी भाषा को सही ढंग से बोलने, लिखने या पढ़ने का ज्ञान देने का विज्ञान है। भाषाविज्ञान में, प्राकृतिक भाषा का व्याकरण वक्ताओं या लेखकों के खंडों, वाक्यांशों और शब्दों की संरचना पर संरचनात्मक बाधाओं का समूह है। हिंदी व्याकरण (Hindi Grammar) के जनक बनारस के दामोदर पंडित हैं, जिनके द्वारा लिखित द्विभाषी ग्रंथ उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण 12वीं शताब्दी का समकालीन है।
हिंदी व्याकरण के भेद (differences of Hindi Grammar)
- वर्ण विचार- हिंदी व्याकरण में पहला खंड वर्ण विचार का है। इसके अंदर भाषा की ध्वनि और वर्ण का विचार सबसे अधिक रखा जाता है।
- शब्द विचार- हिंदी व्याकरण में दूसरे खंड का नाम शब्द विचार है, इसके अंदर संधि पृथक्करण, भेद उपभेद, परिभाषा रचना आदि के संबंध पर विचार किया जाता है।
- वाक्य विचार- शब्दों का वह समूह जिससे वक्ता या लेखक का पूरा आशय श्रोता या पाठक को समझ में आ जाए, “वाक्य” कहलाता है। दूसरे शब्दों में, क्रिया से युक्त शब्दों का वह समूह जो किसी विचार को पूर्णतः व्यक्त करता है, “वाक्य” कहलाता है।
- छंद विचार- छंद विचार हिंदी व्याकरण का चौथा भाग है, जिसके अंतर्गत वाक्य के साहित्यिक स्वरूप से संबंधित विषयों पर चर्चा की जाती है। इसमें छंद की परिभाषा, प्रकार आदि पर चर्चा की गयी है।
हिन्दी व्याकरण के प्रकार (Types of Hindi Grammar)
- वर्ण या अक्षर:- भाषा की उस छोटी ध्वनि (इकाई) को अक्षर कहते हैं जिसके टुकड़े नहीं किये जा सकते। जैसे– अ, ब, म, क, ल, प आदि।
- शब्द:- अक्षरों के उस संयोजन को शब्द कहते हैं जिसका कोई न कोई अर्थ होता है। जैसे- कमल, राकेश, आदि।
- वाक्य:- एक वाक्य अनेक शब्दों से मिलकर बना होता है। ये शब्द मिलकर किसी न किसी अर्थ का ज्ञान कराते हैं। जैसे-
- मोहन टहलने जाता है।
- मनीष दुकान जाता है।
हिंदी व्याकरण की विशेषताएं (Features of Hindi Grammar)
हिन्दी व्याकरण (Hindi Grammar) संस्कृत व्याकरण पर आधारित होते हुए भी अपनी कुछ स्वतंत्र विशेषताएँ रखता है। हिन्दी को संस्कृत विरासत में मिली है। इसमें संस्कृत व्याकरण का योगदान भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। पंडित किशोरीदास वाजपेई ने लिखा है कि “हिन्दी ने अपना व्याकरण अधिकतर संस्कृत व्याकरण के आधार पर ही बनाया है।”
ध्वनि:- ध्वनियाँ मनुष्य और जानवर दोनों की होती हैं। कुत्ते का भौंकना और बिल्ली का म्याऊ करना जानवरों द्वारा निकाली जाने वाली ध्वनियाँ हैं। यहां तक कि निर्जीव वस्तुओं में भी ध्वनि होती है, उदाहरण के लिए, पानी का वेग, किसी वस्तु का कंपन आदि। व्याकरण में मनुष्य के मुँह से निकलने वाली या उच्चारित की जाने वाली ध्वनियों को ही माना जाता है। मनुष्य द्वारा उच्चारित कई प्रकार की ध्वनियाँ हैं:-
- जो मनुष्य के किसी कृत्य से उत्पन्न होते हैं; जैसे चलने की आवाज़।
- वे ध्वनियाँ हैं, जो मनुष्य की अनैच्छिक क्रियाओं से उत्पन्न होती हैं; उदाहरण के लिए, खर्राटे लेना या जम्हाई लेना।
- वे हैं जो मनुष्य के स्वाभाविक कार्यों से उत्पन्न होते हैं; जैसे कराहना।
- वे आवाजें हैं, जिन्हें मनुष्य अपनी इच्छा से मुंह से निकालता है। इन्हें हम वाणी या स्वर कहते हैं।
विराम चिह्न:- हर प्रकार के भावों और विचारों को स्पष्ट करने के लिए वाक्य के मध्य या अंत में जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। दूसरे शब्दों में, हम अपनी अभिव्यक्ति के अर्थ को स्पष्ट करने या किसी विचार और उसके संदर्भ को प्रकट करने के लिए रुकते हैं। इसे “विराम” कहते हैं। इन विरामों को व्यक्त करने के लिए हम जिन प्रतीकों का प्रयोग करते हैं उन्हें “विराम चिह्न” (Viram Chinh) कहते हैं।
- जैसे- रोको मत जाने दो।
कारक:- कारक वह शब्द है जो किसी क्रिया या क्रियापद के साथ जुड़कर उसके कार्य का निर्देशन करता है। कारक का उपयोग करके हम वाक्यों को सुगठित करते हैं और वाक्य के व्यापक अर्थ को स्पष्ट करते हैं।
अव्यय:- वे शब्द जिनमें लिंग, वचन, कारक आदि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता। अव्यय के पांच भेद होते हैं, जैसे:-
- संबंधबोधक
- क्रिया विशेषण
- समुच्चयबोधक
- विस्मयादिबोधक
- निपात
अलंकार:- जो किसी वस्तु को अलंकृत करता है उसे अलंकार कहते हैं। दूसरे अर्थ में काव्य या भाषा को सुन्दर बनाने का तरीका अलंकार कहलाता है।
सर्वनाम:- जो शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किये जाते हैं उन्हें “सर्वनाम” कहते हैं। दूसरे शब्दों में, सर्वनाम उस शब्द को संदर्भित करता है जो विभक्तियुक्त होता है।
संज्ञा:- भाषा में संज्ञा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। संज्ञा वह शब्द है जो किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, अभिव्यक्ति, भावना, गुण आदि के बारे में जानकारी देता है।
क्रिया:- जिस शब्द से किसी कार्य के होने या होने का बोध हो उसे क्रिया कहते हैं। जैसे- पढ़ना, खाना, पीना, जाना आदि।
विशेषण:- जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं उन्हें विशेषण कहते हैं।
उपसर्ग:- उपसर्ग संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है “ऊपर या संलग्न होना”।उपसर्ग एक शब्दांश है जो किसी मूल शब्द के पहले जुड़कर उसके अर्थ को बदलता है। यह शब्दांश अक्सर पूर्ववर्ती शब्द से अलग रचना का कारण बनते हैं। उपसर्ग के उदाहरण में ‘अ’, ‘अण’, ‘अदि’, ‘अभि’, ‘अनु’, ‘अवि’ आदि शामिल होते हैं।
प्रत्यय:- प्रत्यय उस शब्दांश को कहते हैं, जो किसी शब्द के अंत में जुड़कर उस शब्द के अलग-अलग अर्थ को प्रकट करता है।
समास:- कम से कम शब्दों में अधिकतम अर्थ व्यक्त करना “समास” कहलाता है।समास के मुख्य सात भेद है-
- तत्पुरुष समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
- बहुव्रीहि समास
- द्वन्द समास
- अव्ययीभाव समास
- नञ समास
रस:- रस का शाब्दिक अर्थ “आनंद” है। काव्य पढ़ने या सुनने से जो आनन्द प्राप्त होता है उसे “रस” कहते हैं।
वचन:- जिस शब्द के द्वारा किसी व्यक्ति या वस्तु की संख्या बताई जाती हो, उसे “वचन” कहते हैं। वचन व्याकरण का महत्वपूर्ण भाग है जो भाषा को संरचित और समझने में सहायता प्रदान करता है। वचन में तीन प्रकार होते हैं – एकवचन, बहुवचन और विलोमवचन।
पर्यायवाची शब्द:- जिन शब्दों का एक ही अर्थ होता है उन्हें पर्यायवाची शब्द कहते हैं। जिन शब्दों के अर्थ में समानता होती है, उन्हें “पर्यायवाची शब्द” कहते हैं।
- फूल का पर्यायवाची शब्द- सुमन, कुसुम, मंजरी, प्रसून, पुष्प, आदि।
- जंगल का पर्यायवाची शब्द– वन, अरण्य आदि।
- मनुष्य का पर्यायवाची शब्द– पुरुष, नर, जन, मनुज, मर्त्य, मानव।
विलोम शब्द:- जब किसी शब्द का उल्टा या विपरीत अर्थ दिया जाए तो उस शब्द को विलोम शब्द कहते हैं।
- गुन का विलोम शब्द- दोष, अवगुण
- विश्वास का विलोम शब्द- अविश्वास
- प्रेम का विलोम शब्द- घृणा
- हर्ष का विलोम शब्द- शोक, विषाद
- धरती का विलोम शब्द- गगन
शब्द:- एक या अधिक अक्षरों से बना स्वतंत्र सार्थक ध्वनि शब्द कहलाता है। एक अक्षर से बने शब्द- न (नहीं) और कई अक्षरों से बने शब्द- कुत्ता, शेर, कमल आदि। निम्नलिखित तीन भेद दिए गए हैं-
- रूढ़
- यौगिक
- योगरूढ़
मुहावरे:- मुहावरे हमारी भाषा की एक महत्वपूर्ण विशेषता हैं। इन्हें हम रोजाना अपनी बातचीत में उपयोग करते हैं और इसके जरिए हम अपने विचारों को आसानी से साझा कर पाते हैं।
काल:- काल का अर्थ है- समय। क्रिया के जिस रूप से क्रिया के समय का पता चले उसे काल कहते हैं।
अनेकार्थी शब्द:- जो शब्द एक से अधिक अर्थ देते हैं उन्हें अनेकार्थी शब्द (अस्पष्ट शब्द) कहते हैं।
तत्सम शब्द:- हिंदी भाषा का विकास संस्कृत भाषा से हुआ है। इसलिए इस भाषा से सीधे शब्द हिंदी में आये हैं। इन्हें तत्सम शब्द कहते हैं।
तद्भव शब्द:- तद्भव शब्द हिन्दी भाषा के आधार पर बनाये गये हैं। हिन्दी भाषा में तद्भव शब्दों का प्रयोग स्वाभाविक रूप से होता है।
क्रिया विशेषण:- क्रिया विशेषण एक भाषा का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और हिंदी व्याकरण में एक महत्वपूर्ण कार्य करता है। क्रिया के उस परिवर्तन को वाच्य कहते हैं, जिससे यह बोध होता है कि वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव में से कौन प्रधान है। इनमें से कुछ के अनुसार कर्म, शब्द आदि पुरुष आये हैं।
लिंग:- लिंग एक व्याकरणिक अवधारणा है जो शब्दों के संबंध में उनकी पहचान और व्यक्ति के लिए उपयोग होती है। लिंग को शब्दों की एक प्रकृति या स्त्री या पुरुष व्यक्ति के रूप में पहचाना जाता है। यह शब्द के विभाजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो उनका अर्थ और रूपांतरण निर्धारित करता है।
संधि:- संधि विच्छेद संस्कृत भाषा में व्याकरण का महत्वपूर्ण अंग है। इसमें दो या अधिक वर्णों के संयोग से नए वर्णों का उद्भव होता है। इसके माध्यम से शब्दों के व्याकरणिक अर्थों में परिवर्तन होता है। वाक्य विचार के लिए संधि विच्छेद महत्वपूर्ण है, जिससे भाषा का संपूर्ण अध्ययन संभव होता है।
वाक्य:- शब्दों या शब्दों का ऐसा समूह जिसका पूर्ण रूप हो और अर्थ स्पष्ट हो तो उसे वाक्य (Vakya) कहते हैं।
पद परिचय (शब्द और पद):- जो शब्द वाक्य से अलग हो जाते हैं उन्हें “शब्द” कहते हैं, लेकिन जब उन्हें वाक्य में बनाया जाता है तो वे “पद” कहलाते हैं। जब वाक्य के अंतर्गत शब्दों में अंतर हो तो वे “पद” बन जाते हैं।
व्यंजन:- व्यंजन वे हैं, जिनका उच्चारण स्वरों की सहायता से किया जाता है। प्रत्येक व्यंजन के उच्चारण में ‘अ’ की ध्वनि छिपी रहती है। ‘ए’ के बिना व्यंजन का उच्चारण करना संभव नहीं है, जैसे- क् + अ = क, ख + अ = ख।