अनुच्छेद 36 – राज्य निति-निर्देशक तत्व – परिभाषा
अनुच्छेद 36, के अन्तर्गत राज्य के परिभाषा का वर्णन है। राज्य का मतलब सविंधान के अंतर्गत स्वतंत्र निकाय से न की देश की राज्यों से।
अनुच्छेद 35 – संसद को मूल अधिकारों को प्रभावी बनाने के लिए कानून बनाने की शक्ति
अनुच्छेद 35 केवल संसद को कुछ विशेष मूल अधिकारों को प्रभावी बनाने के लिए कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है। यह अधिकार राज्य विधानमंडल को नहीं प्राप्त है।
अनुच्छेद 34 – मार्शल लॉ के दौरान मूल अधिकारों पर प्रतिबंध
अनुच्छेद 34 भारतीय संविधान में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो मार्शल लॉ के तहत मूल अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने की व्यवस्था करता है। इसका उद्देश्य सैन्य शासन के समय किसी…
अनुच्छेद 33 – सशस्त्र बलों के अधिकारों का उपांतरण करने की संसद की शक्ति
अनुच्छेद 33 संसद को यह अधिकार देता है कि वह सशस्त्र बलों, अर्द्ध सैनिक बलों, पुलिस बलों, खुफिया एजेंसियों एवं अन्य के मूल अधिकारों पर युक्तियुक्त प्रतिबंध लगा सके।
अनुच्छेद 32 – संवैधानिक उपचारों का अधिकार
संविधान में मूल अधिकारों की सुरक्षा के लिए अनुच्छेद 32 को एक मूल अधिकार के रूप में माना गया है। डॉ. अंबेडकर ने इसे संविधान का सबसे महत्वपूर्ण अनुच्छेद बताया…
अनुच्छेद 31 – संपत्ति अधिग्रहण का संविधानिक प्रावधान
अनुच्छेद 31 के अनुसार, प्रारंभ में सम्पति का अर्जन एक मूल अधिकार था जो 40वां संविधान संशोधन के बाद कानूनी अधिकार का रूप दे दिया गया।
अनुच्छेद 30 – शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक-वर्गों का अधिकार
जानें अनुच्छेद 30 के तहत भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों के शैक्षिक अधिकारों के बारे में, जो उन्हें अपनी संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अधिकार प्रदान करता है
अनुच्छेद 29 – अल्पसंख्यक-वर्गों के हितों का संरक्षण
अनुच्छेद 29 यह प्रावधान करता है कि भारत के किसी भी भाग में रहने वाले नागरिकों के किसी भी अनुभाग को अपनी बोली, भाषा, लिपि या संस्कृति को सुरक्षित रखने का…
अनुच्छेद 28 – कुछ शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 28 में यह उल्लेख किया गया है कि राज्य निधि से पूर्णतः पोषित किसी शिक्षा संस्था में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जानी चाहिए।
अनुच्छेद 27 – विशिष्ट धर्म के लिए कर लगाने पर प्रतिबंध
अनुच्छेद 27 यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति को विशिष्ट धर्म या धार्मिक संप्रदाय के उत्थान या पोषण के लिए करों का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं…