अनुच्छेद 91 (Article 91 in Hindi) – सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन करने या सभापति के रूप में कार्य करने की उपसभापति या अन्य व्यक्ति की शक्ति
(1) जब सभापति का पद रिक्त है या ऐसी अवधि में जब उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर रहा है या उसके कृत्यों का निर्वहन कर रहा है, तब उपसभापति या यदि उपसभापति का पद भी रिक्त है तो, राज्य सभा का ऐसा सदस्य जिसको राष्ट्रपति इस प्रयोजन के लिए नियुक्त करे, उस पद के कर्तव्यों का पालन करेगा।
(2) राज्य सभा की किसी बैठक से सभापति की अनुपस्थिति में उपसभापति, या यदि वह भी अनुपस्थित है तो ऐसा व्यक्ति, जो राज्य सभा की प्रक्रिया के नियमों द्वारा अवधारित किया जाए, या यदि ऐसा कोई व्यक्ति उपस्थित नहीं है तो ऐसा अन्य व्यक्ति, जो राज्य सभा द्वारा अवधारित किया जाए, सभापति के रूप में कार्य करेगा।
व्याख्या
अनुच्छेद 91 भारतीय संविधान में यह प्रावधान करता है कि जब राज्य सभा के सभापति (भारत के उपराष्ट्रपति) अनुपस्थित हों या अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हों, तो उपसभापति या अन्य कोई सदस्य सभापति कर्तव्यों का निर्वहन करेगा।
अनुच्छेद 91 का मुख्य प्रावधान:
(1) सभापति की अनुपस्थिति में कर्तव्यों का निर्वहन
यदि सभापति अनुपस्थित हैं या किसी कारणवश अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर सकते, तो राज्य सभा का उपसभापति उनके सभी कार्यों और कर्तव्यों का पालन करेगा।
(2) उपसभापति की अनुपस्थिति में
यदि उपसभापति भी अनुपस्थित हों, तो राज्य सभा के किसी अन्य सदस्य को सभापति के रूप में कार्य करने के लिए नामित किया जाएगा तथा यह सदन की कार्यवाही का संचालन करेगा।
(3) शक्ति और अधिकार
उपसभापति या नामित सदस्य को सभापति के सभी शक्तियों और कर्तव्यों का पालन करने का अधिकार होगा। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि राज्य सभा का कामकाज सुचारू रूप से चलता रहे।
अनुच्छेद 91 राज्य सभा के कामकाज की निरंतरता और स्थायित्व सुनिश्चित करने का एक संवैधानिक प्रावधान है। यह सभापति की अनुपस्थिति में उपसभापति या अन्य सदस्यों को उनकी जिम्मेदारियाँ निभाने की अनुमति देता है। इससे राज्य सभा की कार्यवाही निर्बाध रूप से जारी रहती है।
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Source : – भारत का संविधान