अनुच्छेद 90 (Article 90 in Hindi) – उपसभापति का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना
राज्य सभा के उपसभापति के रूप में पद धारण करने
वाला सदस्य–
- (क) यदि राज्य सभा का सदस्य नहीं रहता है तो अपना पद रिक्त कर देगा,
- (ख) किसी भी समय सभापति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा, और
- (ग) राज्य सभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत
से पारित संकल्प द्वारा अपने पद से हटाया जा सकेगा
परन्तु खंड (ग) के प्रयोजन के लिए कोई संकल्प तब तक प्रस्तावित नहीं किया जाएगा जब तक कि उस संकल्प को प्रस्तावित करने के आशय की कम से कम चौदह दिन की सूचना न दे दी गई हो।
व्याख्या
अनुच्छेद 90 भारतीय संविधान के अंतर्गत राज्य सभा के उपसभापति के पद से संबंधित रिक्ति, त्यागपत्र, और हटाने की प्रक्रिया का वर्णन करता है।
अनुच्छेद 90 के तहत प्रावधान:
- पद का रिक्त होना: यदि राज्य सभा के उपसभापति के रूप में पद धारण करने वाला व्यक्ति राज्य सभा का सदस्य नहीं रहता है, तो उसका उपसभापति का पद स्वतः रिक्त हो जाएगा। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि केवल राज्य सभा का सक्रिय सदस्य ही उपसभापति बने रह सकता है।
- पदत्याग (Resignation): उपसभापति, राज्य सभा के सभापति (उपराष्ट्रपति) को एक लिखित पत्र द्वारा अपना त्यागपत्र दे सकता है। पत्र स्वीकार होते ही पद तत्काल प्रभाव से रिक्त हो जाएगा।
- पद से हटाया जाना (Removal): उपसभापति को राज्य सभा के बहुमत द्वारा प्रस्ताव पारित करके पद से हटाया जा सकता है। हटाने का प्रस्ताव सदन की बैठक से कम से कम 14 दिन पहले लिखित रूप में दिया जाना चाहिए। यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया उपसभापति को हटाने के लिए पारदर्शिता और उचित प्रक्रिया सुनिश्चित करती है।
अनुच्छेद 90 राज्य सभा के उपसभापति के पद से संबंधित नियमों को स्पष्ट करता है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि उपसभापति केवल तभी तक पद पर बने रहें जब तक वे राज्य सभा के सदस्य हैं और सदन का विश्वास उनके प्रति कायम है। यह संविधान में लोकतंत्र और पारदर्शिता को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
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Source : – भारत का संविधान