अनुच्छेद 86 (Article 86 in Hindi) – सदनों में अभिभाषण का और उनको संदेश भेजने का राष्ट्रपति का अधिकार
(1) राष्ट्रपति, संसद के किसी एक सदन में या एक साथ समवेत दोनों सदनों में अभिभाषण कर सकेगा और इस प्रयोजन के लिए सदस्यों की उपस्थिति की अपेक्षा कर सकेगा।
(2) राष्ट्रपति , संसद में उस समय लंबित किसी विधेयक के संबंध में संदेश या कोई अन्य संदेश, संसद के किसी सदन को भेज सकेगा और जिस सदन को कोई संदेश इस प्रकार भेजा गया है वह सदन उस संदेश द्वारा विचार करने के लिए अपेक्षित विषय पर सुविधानुसार शीघ्रता से विचार करेगा।
व्याख्या
अनुच्छेद 86 के अनुसार, भारतीय राष्ट्रपति को संसद के किसी एक सदन (राज्यसभा या लोकसभा) या दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में संबोधन का अधिकार दिया गया है। यह प्रावधान राष्ट्रपति के विशेषाधिकारों और संसद में उनकी भूमिका को दर्शाता है।
अनुच्छेद 86 के तहत प्रावधान
- राष्ट्रपति का संसद को संबोधन: राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह संसद के किसी एक सदन या दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अभिभाषण करे। अभिभाषण का उद्देश्य संसद को महत्वपूर्ण नीतिगत मुद्दों, योजनाओं और सरकार की प्राथमिकताओं के बारे में सूचित करना है।
- संसद के कार्य पर सुझाव: राष्ट्रपति संसद के कार्य पर विचार और सुझाव देने के लिए संदेश भेज सकता है।
- अध्यक्षता और सीमाएँ: राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर संसद में अपने अभिभाषण की विषय-वस्तु तय करता है। राष्ट्रपति का अभिभाषण मंत्रीमंडल द्वारा तैयार किया जाता है।
राष्ट्रपति का अभिभाषण (President’s Address)
राष्ट्रपति का अभिभाषण दो विशेष अवसरों पर होता है:
- संसद का प्रथम सत्र: हर साल बजट सत्र की शुरुआत में।
- नए लोकसभा का गठन: आम चुनाव के बाद संसद के पहले सत्र की शुरुआत में।
अनुच्छेद 86 राष्ट्रपति को संसद में अपनी उपस्थिति और अभिभाषण का अधिकार का प्रावधान करता है। उनका अभिभाषण सरकार की योजनाओं और नीतियों की घोषणा करने का एक मंच है, जिसे संसद द्वारा आगे चर्चा और अनुमोदन किया जाता है।
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Source : – भारत का संविधान