अनुच्छेद 49 (Article 49 in Hindi) – राष्ट्रीय महत्व के संस्मारकों, स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण
संसद द्वारा बनाई गई विधि द्वारा या उसके अधीन राष्ट्रीय महत्व वाले घोषित किए गए कलात्मक या ऐतिहासिक अभिरुंचि वाले प्रत्येक संस्मारक या स्थान या वस्तु का, यथास्थिति, लुंठन, विरूंपण, विनाश, अपसारण, व्ययन या निर्यात से संरक्षण करना राज्य की बाध्यता होगी।
व्याख्या
अनुच्छेद 49 राज्य को उन कलात्मक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संपत्तियों के संरक्षण का दायित्व देता है, जो देश के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह अनुच्छेद यह सुनिश्चित करता है कि भारत के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और कलात्मक महत्व वाले स्मारकों और स्थानों का संरक्षण और संरक्षण किया जाए। इसके तहत राज्य को यह दायित्व सौंपा गया है कि वह उन सभी वस्तुओं, स्मारकों, और स्थानों का संरक्षण करेगा, जिन्हें राष्ट्रीय महत्व का घोषित किया गया है।
अनुच्छेद 49 का मुख्य प्रावधान:
- राज्य का दायित्व: राज्य उन स्मारकों, स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण करेगा, जिन्हें राष्ट्रीय महत्व का घोषित किया गया है।
- स्मारकों की सुरक्षा: ऐतिहासिक स्मारकों और स्थानों की सुरक्षा और संरक्षण सुनिश्चित करना, ताकि ये भारत के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित रह सकें।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण:
- स्मारकों और स्थानों की पहचान: यह अनुच्छेद उन स्मारकों, स्थानों और वस्तुओं की पहचान करता है जो भारतीय समाज की सांस्कृतिक धरोहर के हिस्से हैं। उदाहरण के तौर पर, भारतीय पुरातात्विक स्थल, किले, मंदिर, महल, युद्ध स्मारक, और प्राचीन मूर्तियां।
- राष्ट्रीय महत्व की वस्तुओं का संरक्षण: इसमें उन वस्तुओं का भी संरक्षण शामिल है, जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक या कलात्मक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं।
संविधान में अन्य संबंधित प्रावधान:
- भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India – ASI): भारत में ऐतिहासिक स्मारकों और स्थलों का संरक्षण करने का दायित्व भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के पास है। इस सर्वेक्षण द्वारा स्मारकों और स्थानों की सूची तैयार की जाती है और उनकी सुरक्षा के उपाय किए जाते हैं।
- राष्ट्रीय धरोहर संरक्षण अधिनियम: यह अधिनियम ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण की दिशा में कार्य करता है, ताकि इन्हें किसी भी प्रकार के नुकसान से बचाया जा सके।
राज्य के कर्तव्य और चुनौतियाँ:
- संरक्षण की आवश्यकता: भारतीय उपमहाद्वीप में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों की भरमार है। इन स्मारकों और स्थानों का संरक्षण न केवल हमारे इतिहास और संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत योगदान करता है।
- आधुनिकता और शहरीकरण: शहरीकरण और विकास के नाम पर ऐतिहासिक स्थलों और स्मारकों का नुकसान हो रहा है, जो एक गंभीर चुनौती है। ऐसे में इस अनुच्छेद का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि यह स्मारकों और स्थानों की सुरक्षा के लिए राज्य को जिम्मेदार ठहराता है।
- स्मारकों के संरक्षण के लिए संसाधन: राज्य को ऐतिहासिक स्थानों और स्मारकों का उचित संरक्षण करने के लिए पर्याप्त संसाधन, योजनाएं और नीतियां बनानी चाहिए।
अनुच्छेद 49 यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय राज्य अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण में सक्रिय रूप से भाग ले, ताकि ये स्मारक और स्थान न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी उपलब्ध रहें। यह भारत की ऐतिहासिक धरोहर को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और भारतीय संस्कृति, इतिहास और पहचान को सशक्त बनाता है।
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Source : – भारत का संविधान