अनुच्छेद 25 (Article 25 in Hindi) – अंतःकरण की और धर्म की अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता
लोक व्यवस्था, सदाचार और स्वास्नय तथा इस भाग के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता का और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का समान हक होगा।
इस अनुच्छेद की कोई बात किसी ऐसी विद्यमान विधि के प्रवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी या राज्य को कोई ऐसी विधि बनाने से निवारित नहीं करेगी जो–
- (क) धार्मिक आचरण से संबद्ध किसी आर्थिक, वित्तीय, राजनैतिक या अन्य लौकिक क्रियाकलाप का विनियमन या निर्बन्धन करती है;
- (ख) सामाजिक कल्याण और सुधार के लिए या सार्वजनिक प्रकार की हिंदुओं की धार्मिक संस्थाओं को हिंदुओं के सभी वर्गों और अनुभागों के लिए खोलने का उपबंध करती है।
व्याख्या
अनुच्छेद 25 भारतीय संविधान में धर्म की स्वतंत्रता का एक प्रमुख प्रावधान है। यह सभी व्यक्तियों को अंत:करण की स्वतंत्रता और धर्म को मानने, आचरण करने तथा प्रचार करने का अधिकार प्रदान करता है।
अनुच्छेद 25 के प्रमुख बिंदु
1. अंत:करण की स्वतंत्रता
- किसी व्यक्ति को अपने ईश्वर या उसके रूपों के साथ संबंध स्थापित करने की आंतरिक स्वतंत्रता।
- यह विश्वास और ईश्वर के प्रति अपनी भक्ति को किसी भी रूप में व्यक्त करने का अधिकार देता है।
2. धर्म मानने का अधिकार
- व्यक्ति अपने धार्मिक विश्वास और आस्था को सार्वजनिक रूप से और बिना किसी भय के व्यक्त कर सकता है।
3. धार्मिक आचरण का अधिकार
- व्यक्ति को अपने धर्म से संबंधित पूजा, परंपरा, उत्सव, और अन्य धार्मिक कृत्यों को करने की स्वतंत्रता प्राप्त है।
4. धर्म प्रचार का अधिकार
- व्यक्ति को अपने धार्मिक विश्वासों का प्रचार और प्रसार करने का अधिकार है।
- हालांकि, यह अधिकार जबरन धर्मांतरण की अनुमति नहीं देता, क्योंकि जबरन धर्मांतरण अनुच्छेद 25 के अंतर्गत दूसरों के अंत:करण की स्वतंत्रता का अतिक्रमण है।
अनुच्छेद 25 की सीमाएं
हालांकि अनुच्छेद 25 सभी व्यक्तियों (नागरिक और गैर-नागरिक) के लिए उपलब्ध है, लेकिन इसका पालन सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता, स्वास्थ्य, और मूल अधिकारों से संबंधित अन्य प्रावधानों के तहत किया जाता है।
राज्य को निम्नलिखित प्रावधानों पर नियंत्रण करने का अधिकार है:
- धार्मिक आचरण से जुड़े लौकिक (secular) क्रियाकलापों का विनियमन: जैसे धार्मिक संस्थानों की वित्तीय और राजनीतिक गतिविधियों पर नियंत्रण।
- सामाजिक सुधार और कल्याण: जैसे सार्वजनिक धर्मस्थलों को सभी जातियों और वर्गों के लिए खोलने का प्रावधान।
अनुच्छेद 25 में विशेष प्रावधान और व्याख्याएं
- सिख धर्म से संबंधित प्रावधान: कृपाण धारण करना और लेकर चलना सिख धर्म के अभ्यास का हिस्सा माना जाएगा।
- हिंदू धर्म की परिभाषा: अनुच्छेद 25 के अंतर्गत सिख, जैन, और बौद्ध धर्म को हिंदू धर्म का हिस्सा माना गया है।
अनुच्छेद 25 का प्रभाव और महत्व
- धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा:
- यह प्रावधान धर्मनिरपेक्षता और सांस्कृतिक विविधता को सुरक्षित करता है।
- धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी:
- व्यक्ति को अपनी धार्मिक पहचान बनाए रखने और अपने विश्वासों का पालन करने की स्वतंत्रता देता है।
- सामाजिक समानता:
- यह धार्मिक संस्थानों को सभी जातियों और वर्गों के लिए खोलने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- धार्मिक प्रथाओं पर नियंत्रण:
- राज्य को धार्मिक प्रथाओं के आर्थिक और लौकिक पहलुओं को नियंत्रित करने का अधिकार देता है।
अनुच्छेद 25 भारतीय नागरिकों और गैर-नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा और सम्मान देता है। यह प्रावधान धार्मिक विश्वासों और प्रथाओं को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनके विनियमन और नियंत्रण का संतुलन बनाता है, ताकि समाज में सामाजिक समरसता और सार्वजनिक व्यवस्था बनी रहे।
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Source : – भारत का संविधान