अनुच्छेद 18 (Article 18 in Hindi) – उपाधियों का अंत
[1] राज्य, सेना या विद्या संबंधी सम्मान के सिवाय और कोई उपाधि प्रदान नहीं करेगा।
[2] भारत का कोई नागरिक किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि स्वीकार नहीं करेगा।
[3] कोई व्यक्ति, जो भारत का नागरिक नहीं है, राज्य के अधीन लाभ या विश्वास के किसी पद को धारण करते हुए किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि राष्ट्रपति की सहमति के बिना स्वीकार नहीं करेगा।
[4] राज्य के अधीन लाभ या विश्वास का पद धारण करने वाला कोई व्यक्ति किसी विदेशी राज्य से या उसके अधीन किसी रूप में कोई भेंट, उपलब्धि या पद राष्ट्रपति की सहमति के बिना स्वीकार नहीं करे
व्याख्या
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 18 उपाधियों को समाप्त करता है और राज्य के समक्ष समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए इस संबंध में चार प्रमुख प्रावधान करता है।
अनुच्छेद 18 के प्रमुख प्रावधान
- राज्य द्वारा उपाधि प्रदान करने पर प्रतिबंध:
- राज्य केवल सेना और विद्या (शिक्षा) संबंधी सम्मान प्रदान कर सकता है।
- अन्य किसी भी प्रकार की उपाधि प्रदान करना निषिद्ध है।
- विदेशी उपाधि पर प्रतिबंध:
- भारत का कोई नागरिक किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि प्राप्त नहीं कर सकता।
- राष्ट्रपति की सहमति की आवश्यकता:
- कोई विदेशी, जो भारत में राज्य के अधीन लाभ या विश्वास के किसी पद को धारण कर रहा हो, किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि राष्ट्रपति की सहमति के बिना स्वीकार नहीं कर सकता।
- भेंट, उपलब्धि या पद स्वीकारने पर प्रतिबंध:
- राज्य के अधीन लाभ या विश्वास का पद धारण करने वाला कोई व्यक्ति किसी विदेशी राज्य से कोई भेंट, उपलब्धि या पद राष्ट्रपति की अनुमति के बिना स्वीकार नहीं कर सकता।
औपनिवेशिक उपाधियों पर प्रतिबंध
- अनुच्छेद 18 ने औपनिवेशिक शासन के दौरान दी जाने वाली वंशानुगत उपाधियों को प्रतिबंधित कर दिया।
- उदाहरण:
- महाराजा, राज बहादुर, राय बहादुर, राज साहब, दीवान बहादुर।
- इन उपाधियों को समाप्त करना समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14) को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम था।
राष्ट्रीय पुरस्कार और उनकी वैधता
- राष्ट्रीय पुरस्कार (पद्म पुरस्कार):
- पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री जैसे सम्मान उपाधि नहीं माने जाते।
- ये सम्मान अनुच्छेद 18 का उल्लंघन नहीं करते।
- 1996 में उच्चतम न्यायालय ने इनकी संवैधानिक वैधता को स्वीकार किया।
- नाम के साथ प्रयोग पर प्रतिबंध:
- पुरस्कार प्राप्तकर्ता अपने नाम के आगे या पीछे उपसर्ग (Prefix) या प्रत्यय (Suffix) के रूप में इनका उपयोग नहीं कर सकते।
- यदि ऐसा किया जाता है, तो पुरस्कार वापस ले लिया जा सकता है।
राष्ट्रीय पुरस्कारों का इतिहास
- स्थापना:
- 1954 में भारत सरकार ने पद्म पुरस्कारों की शुरुआत की।
- रद्द और पुनः प्रारंभ:
- 1977 में, मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सरकार ने इन पुरस्कारों को बंद कर दिया।
- 1980 में, इंदिरा गांधी सरकार ने इन्हें फिर से शुरू किया।
अनुच्छेद 18 का उद्देश्य
- समानता सुनिश्चित करना:
- उपाधियों की समाप्ति से सभी नागरिकों को समानता का अधिकार मिलता है।
- वंशानुगत विशेषाधिकारों को समाप्त करना:
- औपनिवेशिक उपाधियों को समाप्त कर समाज में समानता और एकता को बढ़ावा दिया गया।
- विदेशी प्रभाव से बचाव:
- विदेशी उपाधियों और उपलब्धियों पर प्रतिबंध लगाकर भारतीय नागरिकों को विदेशी प्रभाव से मुक्त रखा गया।
अनुच्छेद 18 भारतीय समाज में समानता के सिद्धांत को मजबूत करता है और वंशानुगत विशेषाधिकारों को समाप्त करता है। राष्ट्रीय पुरस्कारों को इस प्रकार व्यवस्थित किया गया है कि वे सम्मान के प्रतीक बनें, न कि सामाजिक असमानता के कारण।
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Source : – भारत का संविधान