अनुच्छेद 12 (Article-12 in Hindi) – राज्य की परिभाषा
इस भाग में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, ‘राज्य’ के अंतर्गत भारत की सरकार और संसद तथा राज्यों में से प्रत्येक राज्य की सरकार और विधान-मंडल तथा भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी हैं।
व्याख्या
भारतीय संविधान के भाग-III (मूल अधिकार) में “राज्य” शब्द का उल्लेख किया गया है और इसे अनुच्छेद 12 के तहत परिभाषित किया गया है। यह परिभाषा मूल अधिकारों को लागू करने और उनके उल्लंघन की स्थिति में नागरिकों को न्याय प्राप्त करने का अधिकार देती है।
अनुच्छेद 12 के अनुसार राज्य में शामिल हैं:
- संघीय सरकार और संसद
- भारत सरकार के कार्यकारी और विधायी अंग।
- भारत की संसद (लोकसभा और राज्यसभा)।
- राज्य सरकार और विधानमंडल
- प्रत्येक राज्य की सरकार और उसके कार्यकारी व विधायी अंग।
- राज्य विधानमंडल (विधानसभा और विधान परिषद, जहाँ लागू हो)।
- स्थानीय निकाय
- नगरपालिकाएं।
- पंचायतें।
- जिला बोर्ड।
- सुधार न्यास, और अन्य स्थानीय स्व-शासी संस्थाएं।
- वैधानिक और गैर-संवैधानिक प्राधिकरण
- वे प्राधिकरण जो वैधानिक आधार पर बनाए गए हैं, जैसे:
- भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC)।
- तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC)।
- इस्पात प्राधिकरण (SAIL)।
- अन्य निकाय जिनकी स्थापना सरकार द्वारा कार्य करने के लिए की गई हो।
- वे प्राधिकरण जो वैधानिक आधार पर बनाए गए हैं, जैसे:
न्यायिक व्याख्या और ‘राज्य’ की विस्तारित परिभाषा
उच्चतम न्यायालय ने “राज्य” की व्याख्या को व्यापक बनाते हुए यह माना है कि:
- निजी संस्थाएं जो सरकार के कार्यों को अंजाम देती हैं या सरकारी नियंत्रण में काम करती हैं, उन्हें भी अनुच्छेद 12 के तहत “राज्य” माना जाएगा।
- यदि कोई संस्था सरकारी सहायता प्राप्त करती है, उसका प्रशासन सरकार द्वारा नियंत्रित होता है, या वह सार्वजनिक कार्यों को अंजाम देती है, तो वह “राज्य” के तहत आती है।
राज्य और मूल अधिकारों का उल्लंघन
- अदालती हस्तक्षेप:
यदि “राज्य” द्वारा कोई ऐसा कार्य किया जाता है जो नागरिकों के मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो प्रभावित व्यक्ति उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226) या उच्चतम न्यायालय (अनुच्छेद 32) में याचिका दायर कर सकता है।
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Source : – भारत का संविधान