अनुच्छेद 8 (Article 8 in Hindi) – भारत के बाहर रहने वाले भारतीय उद्भव के कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार
अनुच्छेद 5 में किसी बात के होते हुए भी, कोई व्यक्ति जो या जिसके माता या पिता में से कोई अथवा पितामह या पितामही या मातामह या मातामही में से कोई (मूल रूप में यथा अधिनियमित) भारत शासन अधिनियम, 1935 में परिभाषित भारत में जन्मा था और जो इस प्रकार परिभाषित भारत के बाहर किसी देश में मामूली तौर से निवास कर रहा है, भारत का नागरिक समझा जाएगा,
यदि वह नागरिकता प्राप्ति के लिए भारत डोमिनियन की सरकार द्वारा या भारत सरकार द्वारा विहित प्ररूप में और रीति से अपने द्वारा उस देश में, जहाँ वह तत्समय निवास कर रहा है, भारत के राजनयिक या कौंसलीय प्रतिनिधि को इस संविधान के प्रारंभ से पहले या उसके पश्चात् आवेदन किए जाने पर ऐसे राजनयिक या कौंसलीय प्रतिनिधि द्वारा भारत का नागरिक रजिस्ट्रीकृत कर लिया गया है।
व्याख्या
अनुच्छेद 8 भारतीय नागरिकता से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। इसके तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिक, चाहे वे वहां भ्रमण के उद्देश्य से गए हों या नौकरी करने के लिए, उनकी भारतीय नागरिकता समाप्त नहीं होगी।
अनुच्छेद 8 की मुख्य बातें:
- विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों की सुरक्षा:
- यदि कोई व्यक्ति भारतीय नागरिक है और वह किसी कारण से विदेश में रह रहा है (चाहे वह भ्रमण, नौकरी, शिक्षा, या अन्य कारण से हो), तो उसकी भारतीय नागरिकता बनी रहेगी।
- ऐसे व्यक्ति जो विदेश में हैं, और जिनके पास भारतीय नागरिकता है, वे किसी भी प्रकार की सहायता के लिए भारतीय दूतावास या राजनयिक मिशन से संपर्क कर सकते हैं।
- नागरिकता बनाए रखने की गारंटी:
- विदेश में रहना, काम करना या पढ़ाई करना भारतीय नागरिकता समाप्त करने का कारण नहीं बनता।
इस अनुच्छेद का उद्देश्य
- यह अनुच्छेद यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय नागरिक, जो विदेशों में निवास कर रहे हैं, वे अपनी राष्ट्रीय पहचान और कानूनी अधिकारों को बनाए रख सकें।
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Source : – भारत का संविधान