वज्रपात क्या है? यह पृथ्वी पर कैसे गिरती है।:- आज हम जानेंगे कि आसमान से बिजली पृथ्वी पर कैसे गिरती है और यह बनती कैसे है। बिजली गिरने को ही वज्रपात (Thunderstorm or Lightning strikes or lightning) कहते हैं।
वज्रपात क्या है? (What is Thunderstorm)
वज्रपात वायुमंडल में होने वाला एक अत्यंत तीव्र और भारी विद्युत प्रवाह है जिसमें कुछ धरातल की ओर गमन कर जाता है। बिजली का यह प्रवाह 10-12 किलोमीटर लम्बे उन बादलों में होता है जो विशाल आकार के होते हैं और उनमें बहुत अधिक आर्द्रता भरी होती है।
आसमान से बिजली कैसे गिरती है? (Thunderstorm)
बिजली वाले बादल धरातल से 1-2 किलोमीटर की दूरी के भीतर होते हैं जबकि उनका शीर्ष भाग 12-13 किलोमीटर दूरी पर रहता है। इन बादलों के शीर्ष पर तापमान -35 से लेकर -45 डिग्री सेल्सियस होता है। इन बादलों में जैसे-जैसे जलवाष्प ऊपर जाता है, गिरते हुए तापमान के कारण वह संघनित होने लगता है। इस प्रक्रिया में ताप उत्पन्न होता है जो जलकणों को और ऊपर की ओर धकेलने लगता है। जब जलवाष्प शून्य डिग्री सेल्सियस तापमान पर पहुँच जाता है तो उसकी बूँदें छोटे-छोटे बर्फीले रवों में बदल जाती हैं।
जब वे ऊपर जाती हैं तो उनका आयतन बढ़ते-बढ़ते इतना अधिक हो जाता है कि ये बूँदें पृथ्वी पर गिरने लगती हैं। इस प्रक्रिया में एक समय ऐसी दशा हो जाती है कि छोटे-छोटे हिम के बर्फीले रवे ऊपर जा रहे होते हैं और बड़े-बड़े रवे नीचे की ओर आते रहते हैं। इस आवाजाही में बड़े और छोटे रवे टकराने लगते हैं जिससे इलेक्ट्रान छूटने लगते हैं. इन इलेक्ट्रानों के कारण रवों का टकराव बढ़ जाता है और पहले से अधिक इलेक्ट्रान उत्पन्न होने लगते हैं। अंततः बादल की शीर्ष परत में धनात्मक आवेश आ जाता है जबकि बीच वाली परत में ऋणात्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है।
बादल की दो परतों के बीच विद्युतीय क्षमता में जो अंतर होता है वह 1 बिलियन से लेकर 10 बिलियन वाल्ट तक की शक्ति रखता है। बहुत थोड़े समय में ही एक लाख से लेकर दस लाख एम्पीयर की विद्युत धारा इन दोनों परतों के बीच प्रवहमान होने लगती हैं। इस विद्युत धारा के फलस्वरूप भयंकर ताप उत्पन्न होता है जिसके कारण बादल की दोनों परतों के बीच का वायु-स्तम्भ गरम हो जाता है। इस गर्मी से यह वायु-स्तम्भ लाल रंग हो जाता है। जब यह वायु-स्तम्भ फैलता है तो बादल के अंदर भयंकर गड़गड़ाहट होती है जिसे बिजली कड़कना (Thunder) कहते हैं।
बिजली बादल से पृथ्वी तक कैसे पहुँचती है? (Thunderstorm)
पृथ्वी विद्युत की एक अच्छी संचालक होती है। इसका आवेश न्यूट्रल होता है। परन्तु बादल की बिचली परत की तुलना में पृथ्वी का आवेश धनात्मक हो जाता है। फलतः इस बिजली का लगभग 15-20% अंश धरती की ओर दौड़ जाता है। इसी को वज्रपात (Lightning) कहते हैं।
बादल की बिजली अधिकतर पेड़, मीनार या भवन जैसी ऊँची वस्तुओं पर गिरती है। जब यह बिजली धरती से 80 से 100 मीटर ऊपर होती है तो उस समय यह मुड़कर ऊँची वस्तुओं पर जा गिरती है। ऐसा इसलिए होता है कि वायु बिजली की कुचालक होती है और इससे होकर बहने वाले इलेक्ट्रान बेहतर सुचालक की खोज करने लगते हैं और धनात्मक आवेश वाली पृथ्वी तक पहुँचने के लिए छोटा सा छोटा मार्ग अपनाने लगते हैं।
वज्रपात की भविष्यवाणी (Thunderstorm)
जब वज्रपात में बिजली पृथ्वी की ओर दौड़ती है और किसी पर गिरती है तो उसके 30-40 मिनट पहले उसकी भविष्यवाणी की जा सकती है। यह भविष्यवाणी मेघों में चमकती हुई बिजली के अध्ययन और अनुश्रवण के आधार पर संभव है। वज्रपात के विषय में समय पर सूचना उपलब्ध हो जाने से अनेकों प्राण बचाए जा सकते हैं।
Hi my loved one I wish to say that this post is amazing nice written and include approximately all vital infos Id like to peer more posts like this