स्थानवाचक क्रिया-विशेषण क्या है?- स्थान वाचक क्रिया-विशेषण (Adverb of Place) उन क्रिया-विशेषण शब्दों को कहा जाता है जिनसे क्रिया के होने के स्थान का बोध होता है। हिन्दी में क्रिया विशेषण के चार प्रमुख भेद होते हैं- स्थानवाचक क्रिया-विशेषण, कालवाचक क्रिया-विशेषण, परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण, और रीतिवाचक क्रिया-विशेषण। हम स्थानवाचक क्रियाविशेषण की परिभाषा और उनके उदाहरण आदि पढ़ेंगे।
स्थानवाचक क्रिया-विशेषण क्या है? (Adverb of Place)
स्थानवाचक क्रिया-विशेषण (Adverb of Place) वे होते हैं जो क्रिया के होने वाली जगह का बोध कराते है। अर्थात जहां क्रिया हो रही है उस जगह का ज्ञान कराने वाले शब्द ही “स्थान-वाचक क्रिया-विशेषण” कहलाते हैं।
स्थानवाचक क्रिया-विशेषण उदाहरण:-
- “वह बाहर सो रहा है।” – इस वाक्य में ‘बाहर‘ शब्द से स्थान का बोध होता है। अतः यहाँ ‘बाहर’ शब्द स्थानवाचक क्रिया-विशेषण है।
- “कनिका यहाँ चल रही है।” – इस वाक्य में “यहाँ” चल क्रिया के व्यापार-स्थान का बोध करा रही है।
इसी प्रकार “यहाँ, कहाँ, जहाँ, तहाँ, सामने, वहाँ, नीचे, ऊपर, भीतर, बाहर, दूर, पास, अंदर, आगे, दाएँ, बाएँ, दाहिने, किधर, इस ओर, उस ओर, इधर, उधर, जिधर” आदि शब्द स्थानवाचक क्रिया-विशेषण हैं। कभी-कभी “में, पर” शब्द भी संज्ञा शब्दों के साथ प्रयोग होने पर स्थानवाचक क्रिया-विशेषण बन जाते हैं। जैसे-
- रामू छत पर खेल रहा है।
- चूहा जाल में फस गया।
- मैंने चाबियाँ यहीं मेज पर छोड़ दी हैं।
- उसने अपने गुम हुए फोन को हर जगह खोजा।
- बिल्ली बक्से के अंदर छिपी हुई है।
इन वाक्यों में क्रमशः “में, पर, यहीं, हर जगह, अंदर” आदि शब्द स्थानवाचक क्रिया-विशेषण के उदाहरण हैं।
स्थानवाचक क्रिया-विशेषण और उनके अर्थ (Adverb of Place and its means)
स्थानवाचक क्रिया-विशेषण | अर्थ |
---|---|
यत्र | यहां |
तत्र | वहाँ (there) |
कुत्र / क्व | कहाँ |
अत्र | यहाँ |
सर्वत्र | सब जगह |
अन्त: | भीतर |
बहि: | बाहर |
अंतरा | मध्य |
उच्चै | जोर से |
नीचै: / अध: | नीचे |
समया/निकषा/पार्श्वे | नजदीक |
अन्यत्र | दूसरी जगह |
आरात् | पास या दूर (near or far) |
तत: | वहाँ से |
इतस्तत: | इधर – उधर |
अभित: | सामने |
अग्रे / पुरत: | आगे (In Front Of) |
परित: | चारो ओर |
स्थानवाचक क्रिया-विशेषण के उदाहरण:-
“यहाँ, कहाँ, जहाँ, तहाँ, सामने, वहाँ, नीचे, ऊपर, भीतर, बाहर, दूर, पास, अंदर, आगे, दाएँ, बाएँ, दाहिने, किधर, इस ओर, उस ओर, इधर, उधर, जिधर” आदि शब्द स्थानवाचक क्रिया-विशेषण हैं।
- यहाँ : मैं यहाँ हूँ।
- कहाँ : आप कहाँ हैं?
- जहाँ : जहाँ चाहो वहाँ जाओ।
- तहाँ : उसके बगीचे में एक आलू वृक्ष तहाँ है।
- सामने : स्कूल के सामने एक बड़ा पार्क है।
- वहाँ : मेरे दोस्त वहाँ पर हैं।
- नीचे : कुर्सी के नीचे कुछ छिपा हुआ है।
- ऊपर : पेड़ के ऊपर एक पंखा लगा हुआ है।
- भीतर : घर के भीतर बहुत सुखमय माहौल है।
- बाहर : बारिश हो रही है बाहर मत जाओ।
- दूर : पहाड़ों की दूर से एक अद्भुत दृश्य दिखता है।
- पास : मेरे पास एक नई किताब है।
- अंदर : दरवाजे के अंदर कुछ बच्चे खेल रहे हैं।
- आगे : आगे के सड़क पर जाम हो रहा है।
- दाएँ : मुझे अपनी दाएँ हाथ से खाना अच्छा लगता है।
- बाएँ : उसकी बाएँ आँख में काला बिंदी है।
- दाहिने : रास्ते का दाहिने हाथ में मोड़ लो।
- किधर : तुम किधर जा रहे हो?
- इस ओर : बाजार इस ओर है।
- उस ओर : स्टेशन उस ओर है बस वहीं जाओ।
- इधर : आप इधर आइए मैं आपकी मदद करूँगा।
- उधर : स्कूल का बस स्टॉप उधर पर है।
- जिधर : वह जिधर भी जाता है वहां खुशी लेकर जाता है।